मध्यप्रदेश के उज्जैन की शासकीय वेधशाला के अधीक्षक डॉ रामप्रकाश गुप्त ने बताया कि 30 नवंबर को प्रतिच्छाया ग्रहण होगा, लेकिन भारत में इस समय दिन की स्थिति होने के कारण यह ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि प्रतिच्छाया ग्रहण चंद्रमा का कोई भाग पृथ्वी की वास्तविक छाया से नहीं लगता है। यह पृथ्वी के उप छाया वाले हिस्से से गुजरता है, जिससे उसका प्रकाश कुछ समय मध्यम हो जाता है। इस स्थिति का अनुभव हम सामान्य रूप से चंद्रग्रहण के प्रकाश को देखकर कर सकते हैं। सामान्यतः प्रतिच्छाया चंद्र ग्रहण को ग्रहण के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है। (वार्ता)