राहुल बोले, किसानों के साथ 'युद्ध' में है सरकार...

मंगलवार, 6 जून 2017 (20:57 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के मंदसौर में फायरिंग में आन्दोलनरत किसानों की मौत की घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार देश के किसानों के साथ 'युद्ध' की स्थिति में है।
               
गांधी ने मंगलवार को यहां ट्वीट करके कहा, भाजपा सरकार देश के किसानों के साथ 'युद्ध' की स्थिति में है। गांधी ने टि्वटर पर लिखा, 'भाजपा के न्यू इंडिया में हक मांगने पर अन्नदाताओं को गोली मिलती है। उल्लेखनीय है कि मंदसौर के पिपल्यामंडी में किसानों पर फायरिंग में तीन की मौत हो गई  जबकि चार अन्य घायल हो गए। 
         
इस बीच कांग्रेस सांसद एवं पूर्व मंत्री कमलनाथ ने यहां जारी एक बयान में किसानों की मांगों को जायज बताते हुए कहा कि वह पिछले कई माह से राहत की मांग कर रहा था लेकिन कुंभकर्ण की नींद में सोई सरकार की कानों में जूं नहीं रेंग रही थी। इसलिए उसने शांतिपूर्ण-अहिंसक ढंग से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री किसान पुत्र शिवराज सिंह चौहान के इशारे पर उन पर गोलियां चलाईं गईं।
 
कमलनाथ ने कहा कि किसानों का यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने प्रदेश के सभी कांग्रेसजनों का किसानों के हक की इस लड़ाई में उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने का आह्वान किया। 
         
कमलनाथ ने कहा कि जिन किसान संगठनों का इस हडताल से कोई लेना-देना नहीं है शिवराज सरकार उनसे बंद कमरे में समझौता करके हड़ताल को खत्म करने की साजिश रच रही है। राज्य के लिए यह शर्म की बात है कि अन्नदाता पिछले छह दिनों से भूखा-प्यासा अपनी जायज मांगों को लेकर सड़क पर संघर्षरत है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह तथा उनकी सरकार जश्न मनाने और अभिनंदन कराने में व्यस्त है। 
       
कांग्रेस नेता ने कहा कि शिवराज सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है। उसे अपनी फसलों की उत्पादन लागत भी नहीं मिल पा रही है। इस आन्दोलन ने पांच कृषि कर्मण पुरस्कार पाने वाली शिवराज सरकार के दावों की पोल खोलकर रख दी है। 
 
खेती को लाभकारी धंधा बनाने, किसानों को उनकी लागत का 50 प्रतिशत मुनाफा देने तथा उनका कर्ज माफ करने के शिवराज सरकार के झूठे वादों और जादूगरी को किसान समझ चुका है। जिन किसानों के दम पर शिवराज सरकार बनी थी, वे ही इस सरकार की विदाई करेंगे। इसकी शुरुआत इस आन्दोलन से हो चुकी है। (वार्ता)

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