Mahant Narendra Giri : श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी को सवालों के घेरे में छोड़ गए महंत नरेन्द्र गिरि, संतों ने कहा- एक गहरी साजिश है Suicide note
बुधवार, 22 सितम्बर 2021 (21:06 IST)
प्रयागराज। वाणी में मधुरता मगर दृढ़ इरादों वाले महंत नरेन्द्र गिरि (Narendra Giri) के असामयिक निधन से संत समाज के साथ सनाधन धर्म के करोड़ों अनुयायियों को दु:खी हुए हैं। श्रद्धालुओं की अश्रुधारा और गुलाब की पंखुड़ियों की बरसात के बीच भू-समाधि ले चुके अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष अपने पीछे कई गुत्थियां छोड़ कर गए हैं। इन्हें सुलझाने में सुरक्षा एजेंसियों को खासी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
महंत नरेन्द्र गिरी को उनकी अंतिम इच्छा के अनुरूप बुधवार को श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी पार्क में नीबू के पेड़ के पास उनके गुरु की समाधि के बगल में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भू-समाधि दी गई। महंत को 12 फुट के गढ्ढे में तैयार गुप्त द्वारनुमा स्थान में 'सिद्ध योग मुद्रा' में घंटे-घडियाल के बीच समाधि में बैठाया गया। इससे पहले विभिन्न अखाड़ों के महामंडलेश्वर, आचार्य और बड़े महात्माओं ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि और माल्यार्पण किया। उनकी पार्थिव देह के निकट उनके नित्य पूजा की उपयोग की सभी वस्तुओं को रखा गया।
महंत की अंतिम यात्रा में शामिल होने आये तपोनिधि निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि कड़े फैसले चुटकियों में लेने वाले महंत नरेन्द्र गिरि आत्महत्या नहीं कर सकते। उनका सुसाइड नोट वास्तव में साजिश नोट है। उन्होंने कहा कि मंहत नरेन्द्र गिरी ज्यादा पढ़े लिखे नहीं नहीं थे। वे बड़ी मुश्किल से दस्तखत कर पाते थे। यह सुसाइड़ नोट एक गहरी साजिश है, इसका खुलासा होना आवश्यक है। महंत नरेन्द्र गिरी के निधन से धर्म की क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि महंत नरेन्द्र गिरी को वे बहुत नजदीक से जानते हैं। वे बड़ी मुश्किल से दस्तखत कर पाते थे। इतना लम्बा-चौड़ा सुसाइड नोट उन्होंने कैसे लिखा, यह आश्चर्य की बात है।
इसके अलावा तपोनिधि निरंजनी के सहयोगी आनंद अखाड़े के पीठाधीश्वर स्वामी बालकानंद गिरि ने भी महंत के सुसाइड नोट को एक साजिश बताया है। उन्होंने दावा किया सुसाइड नोट की लिखावट उनकी नहीं हो सकती क्योंकि वे बड़ी मुश्किल से दस्तखत कर पाते थे। श्रद्धाजंलि यात्रा में शामिल अखाड़ों के बड़े संतों ने भी उनकी लिखावट पर संदेह जाहिर किया है।
गौरतलब है कि अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और प्रसिद्ध बाघम्बरी पीठ के प्रमुख महंत नरेंद्र गिरि का शव सोमवार को उनके कमरे में मिला था। पुलिस को सूचना देने से पहले मठ के सेवादारों ने शव को फंदे से उतार लिया था और पुलिस के पहुंचने से पहले वहां अनुयायियों की भीड़ एकत्र हो चुकी थी। शव के पास पुलिस को 12 पन्ने का सुसाइड नोट मिला था जिसके अनुसार महंत ने आत्महत्या की थी।
सुसाइड नोट में ब्रम्हलीन महंत ने लिखा “मैं 13 सितंबर को ही आत्महत्या करने जा रहा था लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। जब हरिद्वार से सूचना मिली कि एक-दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के माध्यम से मोबाइल से किसी लड़की या महिला के साथ गलत काम करते हुए मेरी फोटो लगाकर वायरल कर देगा, मैंने सोचा कि कहां-कहां सफाई दूंगा, एक बार तो बदनाम हो जाऊंगा। सच्चाई तो लोगों को बाद में पता चल ही जाएगी लेकिन मै तो बदनाम हो जाऊंगा। इसलिए मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं।”
उन्होंने सुसाइड नोट में लिखा कि आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी ने मिलकर मेरे साथ विश्वासघात किया। प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं। मेरे आत्महत्या के जिम्मेदार उपरोक्त लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। जिससे मेरी आत्मा को शांति मिले।
पुलिस ने महंत की संदिग्ध मौत के मामले में उनके शिष्य आनंद गिरि और बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी अद्या तिवारी और उसके पुत्र संदीप तिवारी को हिरासत में ले लिया। सुसाइड नोट में इन तीनों को आत्महत्या के लिए उकसाने का जिम्मेदार ठहराया गया है। एसआईटी ने बुधवार शाम चार बजे आनंद और अद्या को अदालत में पेश किया, सीजेएम हरेन्द्र तिवारी ने आरोपियों के उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि महंत की सुरक्षा में लगे गनर समेत 4 अन्य लोगों को हिरासत में भी लिया है जिन्हें अलग स्थान पर रखकर पूछताछ चल रही है। सुसाइड नोट के अनुसार महंत गिरि ने 13 सितंबर को भी जान देने की सोची थी मगर हिम्मत नहीं पड़ी। सुसाइड नोट में भी कई जगह 13 सितंबर की तारीख को काटकर 20 सितंबर किया गया है।
अनुयायियों का कहना है कि महंत नरेन्द्र गिरि दिलेरी से फैसले लेते थे और वह आत्महत्या जैसा कदम कभी नहीं उठा सकते थे। लिखा पढी से दूर रहने वाले मंहत का 12 पन्नो का सुसाइड नोट लिखना सवालिया निशान लगाता है जो सुसाइड नोट कम वसीयतनामा अधिक प्रतीत होता है। इसके अनुसार बलबीर गिरि को मठ का संचालक बनाना और सभी शिष्यों से बलबीर गिरि को सम्मान देने की बात कहना अटपटा प्रतीत होता है।
महंत गिरि एक ऐसी शख्सियत थे जिनका प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर सभी मंत्रियों और अधिकारियों से अच्छी बोलचाल थी। एक तो उनके व्यक्तित्व में दवाब में आने जैसे कोई लक्षण नहीं थे और अगर कभी ऐसा हुआ भी होता तो वह अपनी मनोस्थिति को किसी भी स्तर पर जाकर जाहिर कर सकते थे। फिलहाल महंत की मौत के रहस्य से पर्दा उठाने के लिये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी का गठन किया है जबकि उनके आदेश पर पांच सदस्यीय चिकित्सकों की टीम ने महंत के पार्थिव शरीर का आज पोस्टमार्टम किया जिसका वीडियो भी बनाया गया है।