प्रयागराज। महंत नरेन्द्र गिरि की मौत का रहस्य गहराता ही जा रहा है। हालांकि शुरुआती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनकी मौत दम घुटने से बताई गई है। साथ ही महंत के शिष्य आनंद गिरि एवं आद्या तिवारी को पुलिस ने हिरासत में लेकर बुधवार को अदालत में पेश किया, जहां दोनों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
महंत नरेन्द्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बताया है, जबकि आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को अपनी आत्महत्या के लिए जिम्मेदार बताया है। आनंद गिरि ने जहां खुद को निर्दोष बताया है, वहीं बलवीर गिरि ने 2 दिन में 2 तरह के बयान दिए हैं।
बलवीर गिरि ने मंगलवार को कहा था कि सुसाइड नोट की लिखावट महाराजजी (महंत नरेन्द्र गिरि) की है, जबकि अगले ही यानी बुधवार को उन्होंने लिखावट पहचानने से इंकार कर दिया साथ ही कहा कि असलियत जांच के बाद ही सामने आएगी। हालांकि अभी इस पूरे मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई है। जांच के बाद ही हकीकत का खुलासा हो पाएगा।
महंत नरेन्द्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है- प्रिय बलवीर गिरि, ओम नमो नारायण। मैं तुम्हारे नाम एक रजिस्टर्ड वसीयत की है। जिसमें मेरे ब्रह्मलीन (मरने के बाद) हो जाने के बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर एवं मठ बाघंबरी गद्दी के महंत बनोगे। उन्होंने यह भी लिखा कि मेरी सेवा में लगे विद्यार्थियों का ध्यान देना।
सुसाइड नहीं नोट साजिश का नोट है : निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने कहा है कि महाराज कभी आत्महत्या नहीं कर सकते। उन्होंने सुसाइड नोट पर ही सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि महंतजी केवल हस्ताक्षर ही कर पाते थे, वे कभी भी इतना लंबा सुसाइड नोट नहीं लिख सकते। भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने भी सुसाइड नोट पर सवाल उठाए हैं।