ममता के अनुसार, वे 2017 नरादा टैप्स घोटाला मामले में आरोपी बताए जाने के बाद से तनाव में थे। यहां रबिन्द्र सदन में ममता ने कहा कि तापस पॉल पर केन्द्रीय एजेंसियों का गहरा दबाव था और वे केन्द्र की प्रतिशोध की राजनीति के शिकार हुए। पॉल का पार्थिव शरीर रबिन्द्र सदन में रखा गया है ताकि लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें।
उल्लेखनीय है कि तापस पॉल ने 'साहेब' (1981), 'परबत प्रिया' (1984), 'भालोबाशा भालोबाशा' (1985), 'अनुरागर चोयन' (1986) और 'अमर बंधन' (1986) जैसी कई हिट फिल्में दीं। फिल्म 'साहेब' (1981) के लिए उन्हें 'फिल्मफेयर' पुरस्कार भी मिला था।