Positive Story: भारतवंशी यह महिला न्यूजीलैंड में ड्राइवर से बन गई पुलिस अधिकारी
सोमवार, 22 मार्च 2021 (18:37 IST)
न्यूजीलैंड में पहली भारतवंशी महिला पुलिस अधिकारी मनदीप कौर सिद्धू एक ऐसी महिला हैं, जिसके बारे में आज सोशल मीडिया में जमकर चर्चा है। आइए जानते हैं आखिर क्या है उनकी कहानी।
न्यूजीलैंड हेराल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक मनदीप कौर का जन्म पंजाब के मालवा जिले में हुआ था। उनकी शादी 18 साल की उम्र में ही हो गई थी। 1992 में उनकी शादी टूट गई और वे अपने दोनों बच्चों के साथ मायके आकर रहने लगी। वे 1999 में 26 साल की उम्र में ऑस्ट्रेलिया गई। ऑस्ट्रेलिया जाते वक्त वे अपने दोनों बच्चों को मायके में ही छोड़ गई। वहां पर कुछ दिन रहने के बाद वे न्यूजीलैंड शिफ्ट कर गई और आजीविका के लिए टैक्सी ड्राइवर का काम करने लगी।
न्यूजीलैंड शिफ्ट होने के बाद मनदीप एक वुमन लॉज में रहती थीं, जो ऑकलैंड में था। वहां पर जॉन पैगलर नाम का रिटायर पुलिस कर्मी नाइट रिसेप्शनिस्ट के तौर पर काम करता था। मनदीप जब रात को टैक्सी चलाकर आतीं तो वह उन्हें हॉट मिलो बनाकर देता और हाल चाल पूछता। वह उन्हें पुलिस की कहानियां भी सुनाता था। वहीं से मनदीप के मन में पुलिस में जाने की इच्छा पैदा हुई। इस सपने को पूरा करने के लिए मनदीप ने अपना वजन कम किया और स्विमिंग सीखी।
इसके 5 साल बाद उन्होंने न्यूजीलैंड पुलिस में बतौर कांस्टेबल अपना करियर शुरू किया। अपने इस लंबे कार्यकाल में मनदीप कौर ने फ्रंटलाइन अफसर रोड पुलिसिंग, पारिवारिक हिंसा, नेबरहुड पुलिसिंग, कम्युनिटी पुलिसिंग और बड़े अपराधों की जांच में सहयोग प्रदान किया। इसी दौरान उन्होंने भारतीय अदालत में कानूनी लड़ाई लड़कर बच्चों का कस्टोडियल अधिकार हासिल कर लिया और उन्हें न्यूजीलैंड में बुला लिया।
न्यूजीलैंड पुलिस में भर्ती होने वाली मनदीप कौर पहली भारतवंशी महिला हैं। इस सपने को पूरा करने के लिए मनदीप कौर ने कई निजी और सामाजिक रुकावटों का सामना किया। मनदीप कौर सिद्धू की सेवाओं को देखते हुए न्यूजीलैंड पुलिस ने अब उन्हें सीनियर सार्जेंट के पद पर प्रमोट किया है। उन्हें वेलिंगटन शहर के पुलिस कमिश्नर एंड्रू कोस्टर ने प्रमोशन का बैज पहनाकर सम्मानित किया।
वर्तमान में मनदीप कौर वैटमाता शहर के पुलिस स्टेशन में तैनात हैं। वहां पर सामुदायिक जनसंपर्क अधिकारी अधिकारी की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। उनका काम विभिन्न समुदायों के साथ तालमेल रखना, मीडिया प्रोग्राम आयोजित करना, हिंसा पीड़ित घरों में जाकर उन्हें आश्वासन देना और विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों के बारे में लोगों को सलाह देना है।