उन्होंने कहा, ‘कभी-कभार ऐसा नहीं लगता कि हम ही परीक्षा को एक बोझ बना देते हैं? घर में और बोझ बनाने का एक कारण जो होता है, ये होता है कि हमारे जो रिश्तेदार हैं, हमारे जो यार दोस्त हैं, उनका बेटा या बेटी हमारे बेटे की बराबरी में पढ़ते हैं, अगर आपका बेटा दसवीं में है, और आपके रिश्तेदारों का बेटा दसवीं में है तो आपका मन हमेशा इस बात को कम्पेयर करता रहता है कि मेरा बेटा उनसे आगे जाना चाहिए, आपके दोस्त के बेटे से आगे होना चाहिए। बस यही आपके मन में जो है, वो आपके बेटे पर प्रेशर पैदा करवा देता है।’