परीक्षा आनंद के उत्सव में परिवर्तित कीजिए : मोदी

रविवार, 22 फ़रवरी 2015 (20:00 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उन्हें परीक्षा को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए बल्कि बुलंद हौसलों के साथ समरांगन में उतरना चाहिए। 

रेडियो पर प्रसारित अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ के दौरान अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि परीक्षा अपनी क्षमता पहचानने का एक तरीका है, लिहाजा छात्रों को अपनी ताकत पहचाननी चाहिए। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि छात्रों के मन से परीक्षा का हौवा दूर करने के लिए स्कूलों में हर साल दो बार ‘परीक्षा उत्सव’ का आयोजन किया जाना चाहिए।
 
मोदी ने कहा, ‘शिक्षकों को मेरा सुझाव है कि साल में दो बार क्यों न परीक्षा उत्सव मनाया जाए जिसमें परीक्षा से जुड़ी कविताएं सुनाई जाएं, परीक्षा पर व्यंग्य हो, परीक्षा पर कार्टून बनाए जाएं। इससे छात्रों के मन से परीक्षा का हौवा दूर करने में बड़ी मदद मिलेगी।’ 
 
उन्होंने कहा कि छात्रों ने रात-रात भर जागकर जो पढ़ाई की है, वह बेकार नहीं जाएगी। उन्हें अपनी क्षमता पर भरोसा रखना चाहिए। परीक्षा में कभी भी ज्यादा तनाव नहीं पालना चाहिए, इसे बोझ की तरह नहीं लेना चाहिए।
 
छात्रों को पुरानी बातों में न जीने की सलाह देते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें वर्तमान में जीवन जीना चाहिए और परीक्षा में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना चाहिए।
 
अभिभावकों को छात्रों के मन में परीक्षा का हौवा न पैदा करने की नसीहत देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हर रोज परीक्षा से आने के बाद छात्रों से यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि ‘पेपर कैसा गया?’ 
 
तमिलनाडु के रहने वाले आर. कामत की सलाह से सहमति जताते हुए मोदी ने छात्रों से कहा कि उन्हें ‘वरियर’ यानी चिंतामग्न होने की बजाय ‘वॉरियर’ यानी योद्धा बनना चाहिए।
 
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘महात्मा बुद्ध कहा करते थे ‘अत्यादीपो भव:’..यानि आप अपने मार्गदर्शक बन जाइए। मैं मानता हूं कि आपके भीतर जो प्रकाश है उसे पहचानिए।’ 
 
अपने 25 मिनट के संबोधन में छात्रों का उत्साह बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं नहीं जानता हूं मेरी बातें किसको कितनी काम आएंगी लेकिन मुझे संतोष होगा कि चलिए मेरे युवा दोस्तों के जीवन के महत्वपूर्ण पल पर मैं उनके बीच था, अपने मन की बातें उनके साथ गुनगुना रहा था।’ 
 
उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं एक प्रकार से बहुत ही सामान्य स्तर का विद्यार्थी रहा हूं, क्योंकि मैंने मेरे जीवन में किसी भी एग्जाम में अच्छे परिणाम प्राप्त नहीं किए थे। मेरी तो हैण्डराइटिंग भी बहुत खराब थी।’ 
 
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं आज एक बात जरूर आपसे कहना चाहूंगा कि आप परीक्षा को कैसे लेते हैं, इस पर आपकी परीक्षा कैसी जाएगी, ये निर्भर करती है। अधिकतम लोगों को मैंने देखा है कि वो इसे अपने जीवन की एक बहुत बड़ी महत्वपूर्ण घटना मानते हैं और उनको लगता है कि नहीं, ये गया तो सारी दुनिया डूब जाएगी। दोस्तों, दुनिया ऐसी नहीं है। और इसलिए कभी भी इतना तनाव मत पालिए। हां, अच्छा परिणाम लाने का इरादा होना चाहिए और हौसला भी बुलंद होना चाहिए।’ 
 
उन्होंने कहा, ‘कभी-कभार ऐसा नहीं लगता कि हम ही परीक्षा को एक बोझ बना देते हैं? घर में और बोझ बनाने का एक कारण जो होता है, ये होता है कि हमारे जो रिश्तेदार हैं, हमारे जो यार दोस्त हैं, उनका बेटा या बेटी हमारे बेटे की बराबरी में पढ़ते हैं, अगर आपका बेटा दसवीं में है, और आपके रिश्तेदारों का बेटा दसवीं में है तो आपका मन हमेशा इस बात को कम्पेयर करता रहता है कि मेरा बेटा उनसे आगे जाना चाहिए, आपके दोस्त के बेटे से आगे होना चाहिए। बस यही आपके मन में जो है, वो आपके बेटे पर प्रेशर पैदा करवा देता है।’
 
मशहूर एथलीट सर्गेई बुबका का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इस एथलीट ने 35 बार खुद का ही रिकॉर्ड तोड़ा था। वह खुद ही अपने एग्जाम लेता था। खुद ही अपने आप को कसौटी पर कसता था और नए संकल्पों को सिद्ध करता था। आप भी उसी लिहाज से आगे बढें तो आप देखिए आपको प्रगति के रास्ते पर कोई नहीं रोक सकता है।’ 
 
उन्होंने छात्रों को परीक्षा और उसके परिणाम को लेकर ज्यादा तनाव न पालने की सलाह देते हुए कहा कि परीक्षा को उत्सव बना दीजिए और मौज मस्ती से परीक्षा दीजिए।
 
गुजराती में लिखी अपनी एक कविता के बारे में बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने एक कविता लिखी थी, पूरी कविता तो याद नहीं, लेकिन मैंने उसमे लिखा था, सफल हुए तो ईर्ष्या पात्र, विफल हुए तो टिका पात्र।’ 
 
उन्होंने छात्रों को शुभकामनाएं दी और कहा कि आपका भविष्य जितना उज्जवल होगा, देश का भविष्य भी उतना ही उज्जवल होगा। (भाषा) 

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