मनोहर पर्रिकर को था पैनक्रियाटिक कैंसर, जानिए लक्षण और कारण
रविवार, 17 मार्च 2019 (23:59 IST)
रविवार को देर शाम जैसे ही गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के 63 साल की उम्र में पैनक्रियाटिक कैंसर से मौत की खबर आई, पूरा देश सन्न रह गया। पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को पैनक्रियाटिक कैंसर था, जिसका पता पिछले साल तब लगा, जब यह कैंसर चौथी स्टेज में पहुंच चुका था। देश के लाखों लोगों ने यह सर्च किया कि आखिरकार पैनक्रियाटिक कैंसर होता क्या है। आइए जानते हैं इस खतरनाक बीमारी के बारे में।
पैनक्रियाटिक कैंसर के ज्यादातर मरीजों में सर्वाइवल पीरियड एक साल ही होता है। इससे पीड़ित लोगों में से सिर्फ 5 प्रतिशत लोग ही 5 साल तक जिंदा रह पाते हैं। कैंसर से होने वाली मौतों में पैनक्रियाटिक कैंसर चौथी सबसे सबसे कारण है। 2004 में एप्पल के स्टीव जॉब्स भी इस खतरनाक कैंसर के शिकार हो गए थे। 7 सालों तक इस कैंसर से लड़ाई के बाद 2011 में उनकी मृत्यु हो गई।
ज्यादा सिगरेट पीने वाले लोगों को भी पैनक्रियाटिक कैंसर का खतरा होता है। यह बीमारी वंशानुगत भी है। मोटापा बढ़ने से भी यह बीमारी होती है। वैश्विक आंकड़ों के अनुसार 2002 में 2,32,000 लोगों में पैनक्रियाटिक कैंसर का पता चला था। 2010 तक इनमें से 2,27,000 मरीजों की मौत हो गई थी।
यह कैंसर हमारे शरीर में पेट और आंत के बीच में होता है। हालांकि यह दूसरे प्रकार के कैंसर के मुकाबले कम होता है, किंतु अगर इसकी प्रारंभिक अवस्था के बारे में पता न चल पाए तो यह जानलेवा हो जाता है।
अग्नाशय में कैंसर युक्त कोशिकाओं के जन्म के कारण पैनक्रियाटिक कैंसर की शुरुआत होती है। यह अधिकतर 60 वर्ष से ऊपर की उम्र वाले लोगों में पाया जाता है। उम्र बढ़ने के साथ ही डीएनए में कैंसर पैदा करने वाले बदलाव होते हैं। इसी कारण 60 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के लोगों में पैनक्रियाटिक कैंसर कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इस कैंसर के होने की औसतन उम्र 72 साल है।
महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में पैनक्रियाटिक कैंसर की आशंका अधिक होती है, जो पुरुषों धूम्रपान करते हैं। रेड मीट और चर्बी युक्त आहार का सेवन करने वालों को भी पैनक्रियाटिक कैंसर होने की आशंका रहती है।