पर्रिकर ने कहा हमने आतंकवादियों से निपटने के लिए सेना को खुली छूट दी है और 30 साल का गुस्सा 29 सितंबर को निकाल दिया। उन्होंने कहा कि हम श्रेय नहीं लेते, लेकिन फैसले तो सरकार ही लेती है। रक्षामंत्री ने कहा कि म्यांमार में लक्षित हमले के बाद हमें ताने मारे जाते थे कि उत्तर में तो कर दिया पश्चिम (कश्मीर सीमा) में करके बताओ, मगर जब कर दिया तो कुछ लोगों को यह भी नहीं पच रहा है।
- हम दुश्मन देश की सेना से लड़ते हैं, वहाँ के लोगों से नहीं।
- इटली में भारतीय नौसेना का ज़ोरदार स्वागत इसीलिए हुआ था कि पहले विश्वयुद्ध के दौरान भारतीय सेना ने ब्रिटिश फौज के साथ लड़ते हुए इटली के जीते हुए शहरों में जानमाल का नुकसान नहीं पहुँचाया था।
- इस लक्ष्यभेदी हमले से भारत के लोगों के दिल में पिछले 30 सालों से मौजूद घुटन बाहर निकल गई
- हम लोग एक तरह की लाचारी महसूस करते थे कि हम पर लगातार हमले होते हैं पर हम केवल प्रमाण देते रहते हैं, कुछ कर नहीं पाते।
- देश की जनता बहुत समझदार है, वो किसी के बहकावे में आकर वोट नहीं देती।
- सैनिकों को पेंशन और पैसे देने के मामले में भी हमने अपने वादे पूरे किए हैं, कुछ लोग जानबूझकर भ्रम फैला रहे हैं।