स्कॉर्पियन लीक से सरकार में खलबली, पर्रिकर ने रिपोर्ट मांगी
बुधवार, 24 अगस्त 2016 (12:58 IST)
नई दिल्ली। रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने फ्रांस के सहयोग से बन रही स्कॉर्पियन पनडुब्बी की क्षमताओं से जुड़े गोपनीय डाटा के चोरी होने की रिपोर्टों पर नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा को जांच का बुधवार को आदेश दिया।
नौसेना ने भी बताया है कि इस विषय की रक्षा मंत्रालय के एकीकृत मुख्यालय ने जांच शुरू कर दी है और संबंधित विशेषज्ञ मामले का विश्लेषण कर रहे हैं।
रक्षामंत्री ने बताया कि उन्हें इस रिपोर्ट के बारे में मध्यरात्रि 12 बजे पता चला था। उन्होंने नौसेना प्रमुख को इस पूरे विषय का अध्ययन करने को कहा है कि कौन सा डाटा लीक हुआ है, उसमें क्या बातें उजागर हुईं हैं और किस हद तक नुकसान हुआ है।
पर्रिकर ने कहा कि जहां तक मैं समझता हूँ कि कहीं कोई हैकिंग हुई है, इसलिए हम इसका पता लगाएंगे। नौसेना ने भी इस बयान पर तत्काल प्रतिक्रिया जताई है और एक बयान जारी किया है जिसमें कहा गया है कि स्कार्पियन पनडुब्बियों के दस्तावेजों की संदिग्ध लीक मामले की जानकारी एक विदेशी मीडिया हाउस द्वारा दी गई है।
उपलब्ध जानकारी की जांच एकीकृत मुख्यालय, रक्षा मंत्रालय (नौसेना) द्वारा की जा रही है और संबंधित विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण किया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि इस लीक का स्रोत भारत से नहीं बल्कि विदेशों से प्राप्त हुआ है। स्कॉर्पियन डाटा लीक की खबर सबसे पहले ऑस्ट्रेलियाई मीडिया में आई थी।
न्यूज़ पोर्टल 'दि ऑस्ट्रेलियन' ने अपनी रिपोर्ट ने कहा कि लीक दस्तावेज 22 हजार 400 पृष्ठों का है और उनमें छह स्कॉर्पियन पनडुब्बियों की युद्धक क्षमताओं के गोपनीय विवरण है। इस पनडुब्बी की डिजाइन फ्रांस की जहाजरानी कंपनी डीसीएनएस ने तैयार किया है। न्यूज पोर्टल ने कहा कि इस लीक से ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के सामरिक हलकों में गंभीर चिंताएं पैदा हो गई हैं। शीर्ष नौसैनिक अधिकारियों ने फ्रांस के पास मौजूद इस टॉप सीक्रेट डाटा की सुरक्षा को लेकर निजी तौर पर आशंकाएं व्यक्त की हैं।
दि ऑस्ट्रेलियन ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि यह दस्तावेज लीक भारत की ओर से हुआ है। पर यह भी कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि स्कॉर्पियन का यह डाटा फ्रांस में वर्ष 2011 में एक पूर्व फ्रांसीसी नौसैनिक अधिकारी ने मिटा दिया था जो उस समय डीसीएनएस में सबकॉन्ट्रेक्टर था। (वार्ता)