मुंबई। भारतीय स्टेट बैंक ने बचत खातों में न्यूनतम औसत मासिक शेष को 5,000 रुपए से घटाकर 3,000 रुपए कर दिया है। देश के सबसे बड़े बैंक ने इसके साथ ही इस सीमा का अनुपालन नहीं करने पर जुर्माना भी घटा दिया है। बैंक ने बयान में कहा कि संशोधित सीमा अनिवार्यता और शुल्क अक्टूबर से लागू होंगे।
सार्वजनिक क्षेत्र के इस सबसे बड़े बैंक ने पेंशनभोगियों, सरकार की सामाजिक योजनाओं के लाभार्थियों तथा नाबालिग खाताधारकों को बचत खाते में न्यूनतम बकाये की सीमा से छूट दी है।
इस साल अप्रैल में एसबीआई ने पांच साल बाद नए सिरे से न्यूनतम मासिक शेष और शुल्कों को फिर से लागू किया था। महानगरों के लिए न्यूनतम शेष सीमा 5,000 रुपए रखी गई थी, वहीं शहरी और अर्द्धशहरी शाखाओं के लिए यह सीमा क्रमश: 3,000 और 2,000 रुपए तथा ग्रामीण शाखाओं के लिए 1,000 रुपए रखी गई थी।
बैंक ने कहा कि हमने महानगरों ओर शहरी केंद्रों को एक श्रेणी में रखने का फैसला किया है। इन क्षेत्रों में अब 3,000 रुपए की सीमा लागू होगी।
पिछले सप्ताह बैंक के प्रबंध निदेशक राष्ट्रीय बैंकिंग समूह रजनीश कुमार ने कहा था कि बैंक न्यूनतम शेष की समीक्षा कर रहा है। खाते में न्यूनतम राशि न रखने पर जुर्माने को भी घटा दिया गया है। बैंक ने जुर्माना राशि को 20 से 50 प्रतिशत तक कम किया है।
बैंक ने कहा कि अर्धशहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह शुल्क या जुर्माना राशि 20 से 40 रुपए के दायरे में होगी। वहीं शहरी और महानगर के केंद्रों के लिए यह 30 से 50 रुपए होगी।
अभी तक महानगरों के लिए बैंक न्यूनतम शेष 75 प्रतिशत से नीचे आने पर 100 रुपए और उस पर जीएसटी वसूला जा रहा था। यदि न्यूनतम शेष 50 प्रतिशत या उससे कम पर आता है तो इसके लिए जीएसटी के साथ 50 रुपए का जुर्माना वसूला जा रहा था।
वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम शेष न रखने पर 20 से 50 रुपए (साथ में जीएसटी) का जुर्माना लगाया जा रहा था। एसबीआई ने स्पष्ट किया है कि बेसिक बचत खातों और प्रधानमंत्री जनधन योजना में न्यूनतम राशि रखने की जरूरत नहीं होगी। बैंक के बचत खातों की संख्या 42 करोड़ है। इसमें से 13 करोड़ खाते इस श्रेणी में आते हैं। (भाषा)