अलग-थलग रहकर कोई देश विकास नहीं कर सकता : मोदी

शुक्रवार, 26 अगस्त 2016 (14:25 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया' पर आधारित नीति आयोग के व्याख्यान श्रृंखला की शुक्रवार को यहां शुरुआत करते हुए कहा कि कोई भी देश अलग-थलग रहकर विकास नहीं कर सकता, क्योंकि सभी देश एक-दूसरे से जुड़े और एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
 
मोदी ने पश्चिमी विश्वविद्यालयों और थिंक टैंकों की परिकल्पना पर आधारित इस व्याख्यान श्रृंखला के शुभारंभ के अवसर पर कहा कि प्रत्येक देश के अपने संसाधन, अनुभव और क्षमताएं होती हैं। वर्तमान समय में देश एक-दूसरे पर निर्भर और जुड़े हुए हैं। ऐसी स्थिति में कोई भी देश अलग-थलग रहकर विकास नहीं कर सकता।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में व्यापक बदलाव प्रशासन में भारी परितर्वन के बगैर संभव नहीं हो सकता है। हमें कानूनों में बदलाव लाने, अनावश्यक प्रक्रियाओं को समाप्त करने और प्रक्रियाओं में तेजी लाने के लिए प्रौद्योगिकी अपनाने की आवश्यकता है।
 
इस वार्षिक व्याख्यान श्रृंखला का प्रस्ताव मोदी ने ही किया था जिसमें अंतरराष्ट्रीय हस्तियों को अपने अनुभवों और विचारों को भारत के संदर्भ में रखने का मौका दिया जाता है। मोदी ने इसका शुभारंभ किया है और सिंगापुर के उपप्रधानमंत्री थारमन सहुमुरुगथनम 'वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत' विषय पर व्याख्यान देंगें। इसमें केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों सहित करीब 1,400 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक ऐसा समय था, जब यह समझा जाता था कि विकास पूंजी और श्रम पर निर्भर है लेकिन आज यह संस्थानों की गुणवत्ता और विचारों पर निर्भर करता है। पिछले वर्ष के प्रारंभ में एक नई संस्थान नीति गठित की गई थी। नीति का गठन भारत के ट्रांसफॉर्मेशन के मार्गदर्शन के लिए किया गया था।
 
नीति आयोग के उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच लंबी प्रशासनिक परंपरा रही है। यह परंपरा स्वेदशी और विदेशी विचारों का मिश्रण है। इस परंपरा ने भारत को अच्छे तरीके से आगे बढाया है। इसने लोकतंत्र और संघवाद, एकता एवं अखंडता तथा देश की विविधता को बचाए रखा है। ये छोटी उपलब्धियां नहीं हैं। हालांकि हम ऐसे युग में रह रहे हैं, जहां परिवर्तन स्थिर है और हम बदलते रहे हैं।
 
उन्होंने घरेलू और बाहरी कारकों के लिए बदलाव को आवश्यकता बताते हुए कहा कि प्रत्येक देश के पास अपने अनुभव, संसाधन और क्षमताएं हैं। अब से 30 वर्ष पहले कोई देश अपने आप में समाधान निकाल सकता था, लेकिन आज देश एक-दूसरे पर न सिर्फ निर्भर हैं बल्कि जुड़े हुए भी हैं। ऐसी स्थिति में कोई भी देश अलग-थलग रहकर विकास नहीं कर सकता है। प्रत्येक देश को अपनी गतिविधियों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना होगा, नहीं तो वह पिछड़ जाएगा। 
 
मोदी ने कहा कि बदलाव आंतरिक कारकों के लिए भी जरूरी है। हमारे देश की युवा पीढ़ी बहुत हटकर सोचती है और अपेक्षा रखती है। इसके मद्देनजर सरकार पहले की तरह नहीं रह सकती है। यहां तक कि परिवार में भी युवा और वृद्ध के बीच संबंध बदल गए हैं। 
 
मोदी ने कहा कि एक समय था, जब परिवार के बड़े-बुजुर्गों की समझ युवाओं से अधिक होती थी लेकिन आज नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग बढ़ने से स्थिति पूरी तरह पलट गई है। इससे सरकार के समक्ष संवाद बनाने और बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा करने की चुनौती बन गई है।
 
उन्होंने कहा कि यदि भारत परिवर्तन की चुनौती को पूरा नहीं करता है तो जो विकास हो रहा है वह पर्याप्त नहीं है। कायापलट की जरूरत है इसलिए भारत को लेकर उनका दृष्टिकोण त्वरित व्यापक बदलाव का है। 
 
उन्होंने कहा कि भारत में कायापलट प्रशासन में व्यापक बदलाव के बगैर नहीं हो सकता है। प्रशासन का कायापलट सोच में बदलाव लाए बगैर नहीं हो सकता है और परिवर्तनकारी विचारों के बगैर सोच में बदलाव नहीं आएगा। (वार्ता) 
 

वेबदुनिया पर पढ़ें