मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकवादी हमले में माता-पिता को खोने वाले मोशे ने इसराइल दौरे के समय मोदी का स्वागत करते हुए कहा था कि नमस्ते, हमारे देश में आपका स्वागत है। प्यारे मोदीजी, मैं आपको और भारत की आपकी जनता को प्यार करता हूं। उस मुलाकात में ही मोदी ने मोशे को भारत आमंत्रित किया था।
मोशे की दर्दनाक कहानी: मोशे के पिता रब्बी गेव्रियल नोआच होल्त्जबर्ग (29) और माँ रिव्का (28) मुंबई में चाबड़ हाउस में रहते थे। 26/11 को जब कसाब और दूसरे आतंकियों ने मुंबई में हमला किया था, मोशे अपने माता-पिता रब्बी गवेरियल और रिवाका होल्त्जबर्ग के साथ नरीमन हाउस के यहूदी सेंटर में था। उसकी नजरों के सामने ही आतंकियों ने उसके माता-पिता को मार दिया था। बहादुर आया सांद्रा सैम्युअल ने किसी तरह दो वर्षीय मोशे को मौत के मुंह से बचाया था। बाद में सांद्रा उसे दादा-दादी के पास इसराइल ले गई।
सैंड्रा ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उनके अपने दो बेटों से मिलने वह हर बुधवार को जाती थीं लेकिन उस रात वह नहीं गई थीं। उनका कहना था कि भगवान ने उन्हें उस रात वहां ठहरने को मजबूर किया क्योंकि उसे पता था कि क्या होने वाला है। सैंड्रा ने बताया कि जब उन्होंने गोलियों की आवाज सुनी तो, उन्होंने नीचे का फोन उठाया, ऊपर से ढेर सारी आवाजें आ रही थीं।
उन्होंने फोन का तार निकाल दिया और लॉन्ड्री रूम में जाकर छिप गईं। वह कहती हैं मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं तब निकली जब अगली सुबह बेबी मोशे की आवाज आई। मैं ऊपर कमरे में गई। मैंने देखा मोशे के माता-पिता खून में लथपथ थे। उनकी मौत हो चुकी थी। बेबी मोशे उनके पास बैठा हुआ था। मैंने चुपचाप उसे उठाया और बिल्डिंग से बाहर भागकर अपनी और उसकी जान बचाई।