मच्छर काटने से हुई मौत पर मिलेगा बीमा क्लेम!

सोमवार, 2 जनवरी 2017 (11:56 IST)
एक फिल्म में संवाद था कि एक मच्छर आदमी को... यह तो हर कोई जानता है कि मच्छर अदना से होते हुए भी बेहद खतरनाक होता है और दुनियाभर में सालाना इसके काटने से लाखों लोगों की मौत होती है। आंकड़ों की बात करें तो हर साल मच्छर जहरीले सांपों, शेर, बाघ या शार्क से भी अधिक लोगों की जान लेता है, लेकिन अभी तक मलेरिया, डेंगू जैसी मच्छर काटने से हुई मौतों पर बीमा कंपनियां क्लेम देने में कतराती थीं। 
लेकिन, अब मच्छर काटने पर बीमा क्लेम मिल सकता हैं। मच्छर काटने या मच्छर जनित बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू से हर साल देश दुनिया में लाखों मौतें हो रही हैं। मच्छर किसी को भी काट सकता है ऐसे में अगर मच्छर काटने से किसी की मौत होती है तो वह बीमा क्लेम का अधिकारी हो सकता है। 
 
ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां मच्छर काटने से मलेरिया हुआ और इलाज के दौरान हुई मौत के बाद बीमा कम्पनी से बीमा कलेम की मांग रखी गई। नेशनल कंज्यूमर कमीशन ने एक मामले की सुनवाई के दौरान फैसला दिया। कोलकाता की रहने वाली मौसमी भट्टाचार्जी के मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मच्छर के काटने से हुई बीमारी और मौत को भी इंश्योरेंस में कवर करना चाहिए, का आदेश दिया है।
 
नेशनल कंज्यूमर कमीशन जस्टिस वीके जैन ने कहा- कि यह मानना मुश्किल है कि मच्छर के काटने से होने वाली मौत एक्सीडेंट नहीं है। लोग यह उम्मीद नहीं करते कि उन्हें मच्छर काटेगा और मलेरिया हो जाएगा। इंश्योरेंस कंपनियों की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, सांप का काटना, कुत्ते का काटना और ठंड से मौत को भी एक्सीडेंट माना जाए। 
 
मामला मौसमी भट्टाचार्जी के पति देवाशीष का है। उनकी मौत 2012 में मलेरिया के कारण मौत हो गई थी। डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम और पश्चिम बंगाल कंज्यूमर कमीशन ने फैसला उनके पक्ष में दिया था, लेकिन इसके बाद भी इंश्योरेंस कंपनी ने भट्टाचार्जी को क्लेम नहीं दिया और नेशनल कंज्यूमर कमीशन के दायर कर दिया।
 
नेश्नल कमीशन ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया। देबाशीष ने बैंक ऑफ बड़ौदा से होम लोन लिया और नेशनल इंश्योरेंस कंपनी से पॉलिसी भी ली थी।बीमा की रकम के लिए मौसमी ने क्लेम किया। जब वे अपना होम लोन खत्म करवाने इंश्योरेंस कंपनी के पास पहुंचीं तब उनका क्लेम खारिज कर दिया गया। 
 
मौसमी ने फरवरी 2014 में पश्चिम बंगाल के डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम में शिकायत दर्ज करवाई। फोरम में दर्ज करवाई शिकायत के जवाब पर इंश्योरेंस कंपनी की ओर से कहा गया कि देवाशीष की मौत मच्छर काटने से हुई है ना कि दुर्घटना से। कंपनी के इस पक्ष के बाद भई फोरम ने मौसमी के पक्ष में फैसला दिया। कंपनी फोरम के खिलाफ पश्चिम बंगाल कंज्यूमर कमीशन का दरवाजा खटखटाया। लेकिन वहां भी फरवरी में अपील खारिज कर दी गई।  बाद में कंपनी ने मामले के खिलाफ नेशनल कंज्यूमर कमीशन का रुख किया था।

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