समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल ने शून्यकाल शुरू होने से पहले ही व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए सातवां वेतन आयोग लागू कर दिया है, लेकिन पिछले लंबे समय से वेतन बढ़ाने की गुहार लगा रहे सांसदों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा तनख्वाह और भत्तों से सदस्यों का काम नहीं चल पा रहा है। वेतन का निर्धारण करने वाली दोनों सदनों की संयुक्त समिति के अध्यक्ष योगी आदित्यनाथ अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए हैं।
सपा सदस्य ने कहा कि विधायकों का वेतन भी तीन लाख रुपए हो गया है, लेकिन सांसद अभी भी पुराने वेतन से ही काम चला रहे हैं। सांसदों की वेतन व्यवस्था को वेतन आयोग से जोड़ने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि बार बार वेतन बढ़ाने की मांग करने से ऐसी स्थिति हो गई है कि जैसे सांसद वेतन नहीं बल्कि भीख मांग रहे हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली की मौजूदगी में उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
सदन में कांग्रेस के उप नेता आनंद शर्मा ने भी कहा कि यह सभी सांसदों से संबंधित विषय है और सरकार को इस पर जल्द सुनवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अभी देश में सांसद ही सबसे ज्यादा अपमानित हैं और लोगों का कहना है कि सांसद खुद ही अपनी तनख्वाह बढ़ा लेते हैं, जबकि सांसदों की स्थिति यह है कि दिल्ली के साथ-साथ उन्हें अपने संसदीय क्षेत्र में भी कई तरह की व्यवस्थाएं करनी पड़ती हैं जो इस तनख्वाह में मुश्किल हो रही हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के अन्य देशों के समान भारत में भी सांसदों के वेतन और भत्ते बढ़ाए जाने चाहिए।