पेट्रोल और डीजल को GST के दायरे में लाने पर जोर, हो सकती हैं कीमतें कम

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 12 जून 2024 (09:26 IST)
Petrol Diesel GST: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh puri) को दोबारा पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस मंत्रालय का पदभार संभालते ही पुरी ने अपना बयान जारी किया कि  वे पेट्रोल, डीजल और नेचुरल जैसी वस्तुओं को जीएसटी (GST) के दायरे में लाने पर विचार कर रहे हैं। ऐसा होने पर लोगों को महंगे ईंधन से राहत मिल सकती है।
 
ऐसा पहली बार नहीं है कि पुरी ने पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर जोर दिया है। यहां तक कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भी पिछले साल नवंबर में कहा था कि इसे लागू करने से लोगों को फायदा होगा। लेकिन दूसरी ओर पुरी ने पहले हवाला दिया था कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने के लिए राज्यों को सहमत होना होगा जिनके लिए ईंधन और शराब प्रमुख राजस्व के स्रोत हैं। अगर पेट्रोल और डीजल पर मौजूदा टैक्स सिस्टम को खत्म कर जीएसटी लागू किया गया तो इनकी कीमतें काफी कम हो सकती हैं।
 
50% से ज्यादा है टैक्स लगता है : वर्तमान में पेट्रोल की खुदरा कीमत में लगभग 55 प्रतिशत तक केंद्र और राज्य के करों का हिस्सा है। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.72 रुपए प्रति लीटर है। इंडियन ऑइल कार्पोरेशन की वेबसाइट के मुताबिक दिल्ली में डीलर को पेट्रोलियम कंपनी से मिलने वाले पेट्रोल के दाम 55.66 रुपए प्रति लीटर है। इसमें 19.90 रुपए की एक्साइज ड्यूटी, 3.77 रुपए का डीलर कमीशन और 15.39 रुपए का वैट लगाया जाता है। इस तरह ग्राहकों तक आते-आते 55.66 रुपए का पेट्रोल 94.72 रुपए प्रति लीटर का हो जाता है। इसी तरह डीजल के दाम भी कम हो सकते हैं।
 
जीएसटी घटेंगी कीमतें : मौजूदा समय में जीएसटी में करों को 4 स्लैब- 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत में बांटा गया है। अगर 28 फीसदी वाले सबसे महंगे स्लैब में ईंधन को रखा गया तब भी पेट्रोल की कीमतें मौजूदा रेट से काफी कम हो जाएंगी। अनुमान लगाएं तो 55.66 रुपए के डीलर प्राइस पर यदि 28% की दर से जीएसटी लगाया जाए तो पेट्रोल की खुदरा कीमत 72 रुपए के आस-पास आ सकती है यानी पेट्रोल की खुदरा कीमत 22-23 रुपए तक कम हो सकती है।
 
एक्साइज और वैट से कमाई करती हैं सरकारें : पेट्रोल-डीजल की कीमत पर एक्साइज ड्यूटी से जहां केंद्र सरकार की कमाई होती है, वहीं राज्य सरकारें वैट लगाकर अपना राजस्व बढ़ाती हैं। राज्यों में वैट की अलग-अलग दरों के वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी राज्यों के अनुसार अलग-अलग होती हैं।
 
Edited by: Ravindra Gupta

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