उन्होंने कहा कि पहलगाम हमला हृदयविदारक था। यह हमला किसी को भी बर्दाश्त नहीं हो सकता। यह घटना निंदनीय है। ऐसे हमले की कल्पना भी दर्दनाक है। घटना वाले दिन शाम 5 बजे ही गृहमंत्री अमित शाह घटनास्थल पर पहुंच गए थे। ये सरकार संवेदनशील है। जो सरकार समय से एक्शन ले वो जरूरी। पॉलिटिकल लीडरशिप महत्वपूर्ण होती है।
नड्डा ने कहा कि 2005 में जौनपुर में श्रमजीवी एक्सप्रेस में हरकत-उल-जिहाद ने बम ब्लास्ट किया था। 14 लोग मारे गए और 62 घायल हुए, लेकिन उस वक्त कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जो आज हमसे पूछ रहे हैं कि पहलगाम का क्या हुआ — वो पहले खुद के गिरेबान में झांककर देखें!
उन्होंने कहा कि इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा ने मिलकर मुंबई ट्रेन में बम ब्लास्ट किया। 209 लोग मारे गए, 700 से अधिक घायल हुए। इसके बाद एक जॉइंट एंटी टेरोरिस्ट मैकेनिज्म बनाया गया। 2 महीने बाद इसकी पहली बैठक हुई, 7 महीने बाद दूसरी बैठक हुई। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
नड्डा ने कहा कि हमें उनकी (तत्कालीन कांग्रेस सरकार की) तुष्टिकरण की सीमा को समझने की जरूरत है कि 2008 में इंडियन मुजाहिद्दीन द्वारा किए गए जयपुर बम विस्फोटों के बाद, भारत और पाकिस्तान एक विशिष्ट विश्वास-निर्माण उपायों पर सहमत हुए थे, वो हमें गोलियों से भूनते रहे और हम उनको बिरयानी खिलाने चले। उन्होंने नियंत्रण रेखा पार करने के लिए ट्रिपल-एंट्री परमिट की अनुमति दी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उस समय बलूचिस्तान पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था, भारत पाकिस्तान के साथ सभी मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है। एक ये राजनीतिक नेतृत्व है, और दूसरी ओर मोदी जी का राजनीतिक नेतृत्व है, जिन्होंने कहा है, टेरर और टॉक एक साथ नहीं चलेंगे। भाजपा नेता ने कहा कि हमले अब सिर्फ जम्मू कश्मीर तक सिमित हैं।