नई दिल्ली। उड़ी हमले का बदला लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किस कदर बेचैन थे, इसका अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि वे इस घटना के बाद से कई रात ठीक से सोए भी नहीं।
बुधवार की रात सोना तो दूर, उन्होंने पानी भी तब पिया, जब ऑपरेशन को अंजाम देकर भारतीय कमांडो पीओके से भारतीय सीमा में सुरक्षित लौट आए। मोदी जानकारों की मानें तो तब तक सुबह के करीब 5 बज चुके थे।
इसके बाद प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन में शामिल अफसरों और जवानों को बधाई दी और नियमित दिनचर्या में लग गए। इतना ही नहीं, गुरुवार को समय पर कार्यालय भी पहुंचे। मोदी के करीबी अधिकारियों के मुताबिक बुधवार को जिस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया है, उसकी रणनीति पीएम ने उड़ी हमले के तुरंत बाद ही बना ली थी।
हालांकि उन्होंने इसके लिए टाइमिंग और प्लान को अंजाम देने का जिम्मा सेना को सौंपा। पीएम इस ऑपरेशन को लेकर कोई ऐसी जल्दबाजी नहीं दिखाना चाहते थे जिससे कि कहीं कोई चूक हो। उन्होंने फुलप्रूफ योजना बनाने को कहा। साथ ही खुद भी रूटीन कामों को निपटाने के बाद देर रात तक ऑपरेशन की तैयारियों की प्रगति जांचते थे।
इस दौरान कई रातें ऐसी भी निकलीं, जब पीएम मोदी रातभर सेना के अफसरों और एनएसए के साथ चर्चा करते रहे। इस सबके बीच जो खास बात है वह यह कि उन्होंने रात-रातभर लंबी मीटिंगों का असर न तो अपने चेहरे आने दिया और न ही रूटीन के काम-काज पर।
पीओके के अंदर घुसकर भारतीय सेना के ऑपरेशन की जानकारी को बेहद गोपनीय रखा गया था। इसकी जानकारी गृहमंत्री राजनाथ सिंह और रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ चुनिंदा लोगों के पास ही थी। इनमें एनएसए और सेना के कुछ आला अधिकारी भी शामिल थे।
जानकारों की मानें तो सरकार के जुड़े ज्यादातर लोगों को ऑपरेशन की जानकारी गुरुवार सुबह दी गई। (भाषा)