आम बजट-2022 में रक्षा क्षेत्र के लिए किए गए प्रावधानों पर आयोजित एक वेबिनार को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि विदेशों से हथियार मंगाने की प्रक्रिया बहुत लंबी है जिसकी वजह से हथियार भी समय की मांग के अनुकूल नहीं रहते और इसमें भ्रष्टाचार तथा विवाद भी होते हैं, लिहाजा इसका समाधान 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' में ही है।
उन्होंने कहा कि वेबिनार का विषय 'रक्षा में आत्मनिर्भरता, कॉल टू एक्शन' है और यह देश के इरादों को स्पष्ट करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते कुछ वर्षों से भारत अपने रक्षा क्षेत्र में जिस आत्मनिर्भरता पर बल दे रहा है, उसकी प्रतिबद्धता इस बार के बजट में भी दिखेगी। इस साल के बजट में देश के भीतर ही शोध, डिजाइन और तैयारी से लेकर निर्माण तक का एक वाइब्रेंट इकोसिस्टम विकसित करने का ब्लूप्रिंट है। उन्होंने कहा कि रक्षा बजट में लगभग 70 प्रतिशत सिर्फ घरेलू उद्योगों के लिए रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 5-6 सालों में रक्षा निर्यात में छह गुणा की वृद्धि हुई है और आज भारत 75 से भी ज्यादा देशों को 'मेड इन इंडिया' रक्षा उपकरण और सेवाएं मुहैया करा रहा है। उन्होंने कहा कि 'मेक इन इंडिया'को सरकार के प्रोत्साहन का परिणाम है कि पिछले सात सालों में रक्षा निर्माण के लिए 350 से भी अधिक नए औद्योगिक लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं। जबकि 2001 से 2014 तक, 14 वर्षों में सिर्फ 200 लाइसेंस जारी हुए थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी से पहले और उसके बाद भी भारत की रक्षा निर्माण की ताकत बहुत ज्यादा थी और दूसरे विश्वयुद्ध में भारत में बने हथियारों ने बड़ी भूमिका भी निभाई थी। उन्होंने कहा कि हालांकि बाद के वर्षों में हमारी यह ताकत कमजोर होती चली गई, लेकिन यह दिखाता है कि भारत में क्षमता की कमी ना तब थी, और ना अब है। सूचना और प्रौद्योगिकी को भारत की बहुत बड़ी सार्मथ्य करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में इसका जितना ज्यादा इस्तेमाल होगा, देश की सुरक्षा उतनी ही मजबूत होगी।