लोकसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि मैं बिल्कुल भी हैरान नहीं हूं। मैं (दिल्ली में) उनके आवास के सामने रहता हूं। दिल्ली में मोदी जी की सरकार आने के बाद से पूर्व मंत्रियों या पूर्व सांसदों से सरकारी आवास की सुविधा ले ली जाती है। लेकिन, अचरज की बात है कि गुलाम नबी आजाद को अपना आवास कभी खाली नहीं करना पड़ा।
चौधरी ने दावा किया कि क्या किसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश में कोरोना वायरस के कारण 50 लाख लोगों की मौत पर दुख व्यक्त करते देखा है? लेकिन वह (प्रधानमंत्री) आजाद के राज्यसभा में कार्यकाल खत्म होने के दौरान (पिछले साल फरवरी में) रोए थे। उसी दिन हमारे लिए सारा किस्सा खत्म हो गया था। मैं समझ गया और यह स्पष्ट हो गया कि वह (आजाद) मोदी जी के चक्कर में पड़ गए हैं।
चौधरी ने कहा कि हम (कांग्रेस) हमेशा हर किसी को राज्यसभा सदस्य नहीं बना सकते हैं। अगर उन्हें (आजाद को) राज्यसभा सदस्य बनाया जाता तो वह (पार्टी में रहने के लिए) राजी हो जाते। जब उन्हें (सांसद का पद) नहीं मिला तो वह गुस्सा हो गए। गुलाम जी का गुस्सा, पार्टी छोड़ने की मंशा में बदल गया।
कांग्रेस नेता चौधरी ने कहा कि हर कोई जानता है कि किस पार्टी ने उन्हें इतना बड़ा नेता बनाया। उनकी प्रगति के पीछे कांग्रेस का योगदान था। कांग्रेस ने उन्हें क्या नहीं दिया?.. उन्हें जम्मू कश्मीर का मुख्यमंत्री और संसद में विपक्ष का नेता बनाया गया। कांग्रेस की हर पीढ़ी ने उन्हें कुछ न कुछ पद संभालते देखा है।