उत्तर प्रदेश में विकास का वनवास खत्म करे जनता : मोदी
सोमवार, 2 जनवरी 2017 (18:39 IST)
लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में विकास पिछले 14 साल से वनवास भोग रहा है और भाजपा कार्यकर्ताओं को जनता को राहत दिलाने के लिए राज्य का आगामी विधानसभा चुनाव एक जिम्मेदारी के तौर पर लड़ना होगा।
मोदी ने एक बार फिर ‘सबका साथ-सबका विकास’ का नारा बुलंद करते हुए प्रदेश की जनता का आह्वान किया कि वह जात-पात और अपने-पराए की भावना से ऊपर उठकर विकास के लिए भाजपा को वोट दे।
प्रधानमंत्री ने परिवर्तन महारैली में कहा कि भाजपा को उत्तर प्रदेश की सेवा करने का अवसर मिला था लेकिन बीच में 14 साल बीत गए। इससे पहले कल्याण सिंह, रामप्रकाश गुप्ता और राजनाथ सिंह के नेतृत्व में रही भाजपा की सरकार को लोग आज भी याद करते हैं। मुद्दा भाजपा के वनवास का नहीं है, बल्कि मुद्दा यह है कि 14 साल के लिए उत्तर प्रदेश में विकास का वनवास हो गया है।
महारैली में उमड़े जनसैलाब से गदगद हुए मोदी ने कहा कि हवा का रुख साफ-साफ नजर आ रहा है। मुझे अपने पूरे जीवनकाल में इतनी बड़ी रैली संबोधित करने का सौभाग्य पहले कभी नहीं मिला। चुनाव का हिसाब-किताब लगाने वाले राजनीतिक पंडितों को यह रैली देखने के बाद अब मेहनत नहीं करनी पड़ेगी कि चुनाव में होने वाला क्या है?
प्रधानमंत्री ने कहा कि 14 साल के बाद फिर एक बार उत्तर प्रदेश की धरती पर विकास का नया अवसर आने का यह नजारा मैं देख रहा हूं। देश के प्रधानमंत्री के रूप में राजनीतिक दृष्टि से तो आपने मुझे यूपी से सांसद बनाया। इस उत्तर प्रदेश ने जी भरकर मेरी मदद की। उसके कारण 30 साल के बाद देश को पूर्ण बहुमत की सरकार मिली।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि हिन्दुस्तान आगे बढ़े, गरीबी, निरक्षरता और बीमारियां मिटें। यह सपना तब तक पूरा नहीं होगा जब तक उत्तर प्रदेश से ये कठिनाइयां दूर नहीं होतीं। हिन्दुस्तान का भाग्य बदलने के लिए पहली शर्त है कि हमें उत्तर प्रदेश का भाग्य बदलना पड़ेगा। इसीलिए प्रदेश में भाजपा की सरकार बनाना लाजमी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की समझदार जनता जात-पात का प्रभाव और अपने-पराए का खेल बहुत सहन कर चुकी है। एक बार अपने-पराए और जात-पात से ऊपर उठकर सिर्फ उत्तर प्रदेश के विकास के लिए वोट करिए और देखिए कि यूपी बदलता है या नहीं।
मोदी ने कई बार लखनऊ से सांसद रहे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए कहा कि रात-दिन एक कर पूरे हिन्दुस्तान में भारतीय जनता पार्टी का वटवृक्ष तैयार करने वाले वाजपेयी ने लखनऊ की भी भरपूर सेवा की। यहां के प्रति उनका लगाव, इसके लिए कुछ करने का उनका अविरल प्रयास, आज भी लखनऊ में महसूस होता है।
मोदी ने कहा कि अभी दो दिन पहले उन्होंने देशवासियों को संबोधित किया था। उसमें प्रसूता माताओं, गरीबों के घर के लिए, गांवों के विकास के लिए और छोटे कारोबारियों के लिए मदद की योजना की घोषणा की थी तो कुछ लोगों को इससे भी तकलीफ हुई।
उन्होंने कहा, इन लोगों को परेशानी इस बात की है कि इनकी कुर्सियां हिल रही हैं। हिन्दुस्तान की राजनीति में विरोध करते-करते ये लोग अप्रासंगिक हो गए हैं। वे अपनी जमीन खो रहे हैं, इसलिए विरोध का रास्ता अपना रहे हैं। देश उन्हें अच्छी तरह पहचान गया है, वह उन्हें माफ नहीं करने वाला है। हमने शोषितों से जो लूटा गया है, उसे वापस लौटाने का संकल्प लिया है। हमें आपका आशीर्वाद चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भाजपा के लिए प्रदेश का आगामी विधानसभा चुनाव सिर्फ हार-जीत का मसला नहीं, बल्कि एक जिम्मेदारी का काम है। हमारे ऊपर जिम्मेदारी आने वाली है। हमें खुद को उसे निभाने के योग्य बनाकर आगे बढ़ना है। ‘सबका साथ सबका विकास’ के मंत्र को कभी छोड़ना नहीं। जो हमारे साथ होंगे, उनका भी भला हो, जो नहीं होंगे, उनका भी भला हो।
मोदी ने प्रदेश में गन्ना किसानों का बकाया भुगतान कराने के मामले में प्रदेश सरकार पर हीलाहवाली करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश की सरकार कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। वह पहले तो जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ती है और फिर किसानों को भड़काती है। दो दलों के बीच में राजनीति तो समझ में आती है लेकिन जनता के साथ राजनीति नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए जाने और पूरी जिम्मेदारी लिए जाने के बावजूद प्रदेश की सरकार को किसानों के धान खरीदने की फुरसत नहीं है। केन्द्र के आह्वान पर किसानों ने बाकी फसलों को छोड़कर दाल की बुवाई की, लेकिन प्रदेश की सरकार उसे भी खरीदने को तैयार नहीं है। किसानों की यह हालत हमें मंजूर नहीं है। इसके लिए परिवर्तन आवश्यक है। इसीलिए परिवर्तन यात्रा लेकर पूरा यूपी एक संकल्प के साथ निकल पड़ा है।
प्रधानमंत्री ने बसपा मुखिया मायावती का नाम लिए बगैर कहा कि राजनीति बहुत नीचे गिर चुकी है। हाल में आर्थिक कारोबार के लिए टेक्नोलॉजी के द्वारा रुपयों के लेन-देन के लिए ‘भीम’ नामक मोबाइल एप्लीकेशन शुरू किया गया। भीम नाम इसलिए रखा क्योंकि बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर ने आर्थिक चिंतन में महारत हासिल की थी। भारत का आर्थिक कारोबार भीम के नाम से चले तो किसी के पेट में चूहे क्यों दौड़ रहे हैं?
उन्होंने अन्य दलों पर भी हमला करते हुए कहा कि एक दल ऐसा है जो अपने बेटे को स्थापित करने के लिए पिछले 15 साल से कोशिश कर रहा है, लेकिन अभी तक कहीं दाल गलती नजर नहीं आ रही है। दूसरा दल ऐसा है, वह इस चिंता में है कि पैसे कहां रखें? दूर-दूर के बैंक खोज रहा है। तीसरा दल जो पूरी ताकत परिवार का क्या होगा, उसमें लगाए हुए है। (भाषा)