मोदी ने डिलमा रूसैफ को दी राष्ट्रपति बनने पर बधाई

सोमवार, 27 अक्टूबर 2014 (17:31 IST)
-शोभना जैन
 
नई दिल्ली/ रियो डि ‍जेनेरियो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्राजील की 'आयरन लेडी' के नाम से चर्चित डिलमा रूसैफ को दोबारा ब्राजील की राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आने वाले वर्षों में भारत और ब्राजील के संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए उनके साथ लगातार काम करना चाहता हूं। डिलमा रूसैफ को ब्राजील की दोबारा राष्ट्रापति चुने जाने पर बधाई और दूसरे कार्यकाल के लिए मेरी उनको शुभकामनाएं! 
 
आज यहां जारी एक संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आने वाले वर्षों में भारत और ब्राजील के संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए डिलमा रूसैफ के साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं। प्रधानमंत्री मोदी ब्राजील में गत जुलाई में हुए छठे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में डिलमा से मिले भी थे।
 
डिल्मा रूसैफ कांटे की टक्कर में हुए इस चुनाव में आज एक बार फिर देश की राष्ट्रपति फिर चुनी गई हैं। राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल में प्रवेश कर रही डिलमा देश की पहली महिला राष्ट्रपति भी हैं। उन्हें 51.62 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि विपक्षी दल सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार एसियोक नेवेस को 48.38 प्रतिशत वोट मिले।
 
ब्राजील में पिछले करीब 2 दशक में यह राष्ट्रपति चुनाव सबसे कांटे के मुकाबले वाला रहा। देश में आर्थिक सुधारों की धीमी रफ्तार की वजह से हालांकि यह भी कहा जा रहा था कि विपक्षी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी का पलड़ा इस बार भारी था, लेकिन जीत अंतत: वर्कर्स पार्टी की हुई। उनका कार्यकाल 4 साल का होगा। अनुशासन के साथ-साथ कड़े व्यवहार के कारण उनकी छवि 'आयरन लेडी' की मानी जाती है। जनता के बीच में उनकी छवि एक ऐसे सख्त राजनेता की है, जो अपने मंत्रियों को सार्वजनिक रूप से जबाव तलब करती हैं।
 
उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोप में कई मंत्रियों को बर्खास्त भी किया है। डिलमा उस वक्त राजनीतिक पटल पर सुर्खियों में आईं, जब तत्कालीन राष्ट्रपति लुईस सिल्वा लूला के चीफ ऑफ स्टाफ जोजे जियर्से को सरकारी धन के दुरुपयोग के मामले में इस्तीफा देना पड़ा था।
 
ब्राजील के इतिहास में अब तक के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति रहे लूला को रूसैफ का गुरु माना जाता है। डिलमा का करियर उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। 1964 में ब्राजील में फौजी हुकूमत के खिलाफ आंदोलन करने पर उन्हें जेल भी जाना पड़ा। 1970 में रूसैफ जेल भी गईं और उन्हें 3 साल की सजा हुई।
 
रूसैफ को उनकी सामाजिक कल्याण की नीतियों से लाखों गरीबों का जीवनस्तर बेहतर करने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन प्रेक्षक आर्थिक वृद्धि की धीमी रफ्तार के लिए उनकी आलोचना भी करते रहे है।
 
वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाली डिलमा रूसेफ ने जीत के बाद अपने समर्थकों से देश के भविष्य के लिए सभी ब्राजीलवासियों से एकजुट होने का आह्वान किया और देश में राजनीतिक सुधारों की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
 
इस बार का चुनाव प्रचार 1985 में ब्राजील में लोकतंत्र की वापसी के बाद से सबसे आक्रामक चुनाव प्रचार माना गया। वर्ष 1995 से यहां राष्ट्रपति पद के लिए सिर्फ दो पार्टियों के बीच ही मुकाबला होता रहा है, लेकिन इस बार मुकाबला बराबरी का था।
 
जनवरी 2011 में पहली बार ब्राजील की पहली महिला राष्ट्र प्रमुख बनीं डिलमा रूसेफ ने इससे पहले कोई चुनाव तक नहीं लड़ा था। वर्ष 2011 के चुनाव के बाद उन्होंने लूला डी सिल्वा की जगह ली थी। अपने जीवन के एक और कठिन दौर में उन्हें 2009 में उन्हें कैंसर से भी जूझना पड़ा, लेकिन इलाज के बाद अब वे पूरी तरह स्वस्थ हैं।
 
ब्राजील के संविधान के अनुसार एक व्यक्ति लगातार 2 बार से अधिक राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित नहीं हो सकता है। हालांकि ब्राजील के संविधान में किसी राष्ट्रपति को तीसरी बार राष्ट्रपति बनने का प्रावधान है, बशर्ते उनका कार्यकाल लगातार नहीं होना चाहिए।
 
गौरतलब है कि दक्षिणी अमेरिकी देशों में महिला राष्ट्र प्रमुखों में वर्ष 2006 में चिली की पहली महिला राष्ट्रपति मिशेल बशाले और वर्ष 2007 में अर्जेंटीना की पहली महिला राष्ट्रपति क्रिस्टीना फर्नांडेज डे कर्शनर बनी थीं। (वीएनआई)

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