उन्होंने कहा कि फसलों की लागत में श्रम लागत, मशीनों का किराया, बीज और खाद का मूल्य, राज्य सरकारों को दिए जाने वाले शुल्क, कार्यशील पूंजी पर लगने वाला ब्याज और पट्टे पर ली गई जमीन का किराया आदि शामिल होगा।
प्रधानमंत्री ने आजादी के बाद कृषि क्षेत्र में हासिल सफलता के लिए किसानों की कड़ी मेहनत की सराहना करते कहा कि आज खाद्यान्न, दलहन, फल एवं सब्जियों और दूध का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं जिनसे किसानों की आय कम हो रही है और उनका नुकसान और खर्च बढ़ रहा है।
मोदी ने कहा कि सरकार इन चुनौतियों से पार पाने के लिए समग्र प्रयास कर रही है। सरकार का लक्ष्य है कि किसानों की आय को दोगुना किया जाए और उनके जीवन को आसान बनाया जाए। इस दिशा में सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं। अब तक 11 करोड़ मृदा-स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। यूरिया की 100 प्रतिशत नीम कोटिंग से उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही उर्वरक पर खर्च कम करने में सफलता मिली है।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर 25 कृषि विज्ञान केंद्रों का शिलान्यास किया और जैविक उत्पादों के लिए ई-मार्केटिंग पोर्टल की शुरुआत की। उन्होंने कृषि कर्मण पुरस्कार और पंडित दीनदयाल उपाध्याय कृषि प्रोत्साहन पुरस्कार भी भेंट किए। उन्होंने इस अवसर पर मेघालय का विशेष तौर पर उल्लेख किया। मेघालय को कृषि क्षेत्र में हासिल सफलता के लिए पुरस्कार मिला है। (भाषा)