न्यूयॉर्क में रहने वाले स्तंभकार और अर्थशास्त्री तथा आने वाली किताब 'डेमोक्रेसी ऑन रोड' पर काम कर रहे रुचिर शर्मा ने कहा कि 2014 के आम चुनावों में भाजपा ने 31 प्रतिशत मतों के साथ जीत हासिल की थी, क्योंकि उस वक्त विपक्ष बिखरा हुआ था। उस वक्त सीटों का बंटवारा असंगत था और उनका वोट केंद्रित था। उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि वाजपेयी के समय में भी जब विपक्ष एकजुट हो गया था तो यही सवाल पूछा गया था कि अगर वाजपेयी नहीं, तो पीएम कौन बनेगा? और अचानक से एक व्यक्ति को प्रधानमंत्री बना दिया गया। 2004 में भाजपा की अगुवाई वाले राजग ने हार स्वीकार कर ली थी और कांग्रेस सत्ता में आई थी, जहां मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया था।
उत्तरप्रदेश को 'लघु भारत' की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि यहां 80 सीटें हैं और यदि बसपा और सपा के बीच गठबंधन हो जाता है, तो वे चुनाव में बाजी मार लेंगे अन्यथा सत्ता भाजपा के पाले में जाएगी। एकदम साफ-सी बात है। (भाषा)