नरेन्द्र मोदी का कोझिकोड भाषण, सोशल मीडिया पर जंग

सोमवार, 26 सितम्बर 2016 (14:08 IST)
नई दिल्ली। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की 100वीं जयंती पर केरल के कोझिकोड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण पर सोशल मीडिया पर जंग तेज हो गई है। इस बहस में योगेन्द्र यादव और राहुल देव जैसे दिग्गज भी कूद पड़े हैं। 
दरअसल, भाजपा की राष्ट्रीय परिषद को संबोधित करते हुए मोदी ने पंडित दीनदयाल को उद्धृत करते हुए कहा था- न मुसलमानों को पुरस्कृत करें, न तिरस्कृत करें बल्कि उनका परिष्कार करें। मुसलमान कोई वोट की मंडी का माल नहीं और घृणा की वस्तु नहीं है, उसे अपना समझें।
 
हालांकि प्रधानमंत्री के भाषण के संबोधन का संदर्भ या उद्देश्य कुछ भी रहा हो, लेकिन इस पर विवाद तो शुरू हो ही गया है। प्रधानमंत्री को किसी संवेदनशील मुद्दे पर सार्वजनिक मंच से कम से कम इस तरह की बात नहीं बोलना चाहिए, जिसके लोग अलग-अलग अर्थ निकालें। 
प्रधानमंत्री के भाषण पर ट्‍वीट करते हुए योगेन्द्र यादव ने कहा कि अगर ऐसा है तो फिर प्रधानमंत्री का किसी एक समुदाय के बारे में कहना उचित है? क्या वे ऐसी कोई बात जैनों, तमिलों, पाटीदारों के बारे में कह सकते हैं? सीधा-सीधा अपमान किया गया है।
 
यादव के ट्‍वीट के जवाब में राहुल देव ने कहा कि मैं ज्यादा संस्कृत तो नहीं समझता। परिष्कार के जिस हिंदी अर्थ से परिचित हूं उसका अर्थ निखारना है। मैं प्रधानमंत्री के इस प्रयोग को इसी अर्थ में लेता हूं। एक अन्य ट्‍वीट में देव ने कहा कि मुस्लिमों की जैनों, तमिलों या पाटीदारों इत्यादि से तुलना करना खतरनाक और पूरी तरह से ईमानदार नहीं है। दुर्भाग्यपूर्ण व्याख्या। 
 
एक अन्य ट्‍वीट में राहुल जैन ने यादव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जैनों को किसी की भी सहानुभूति की जरूरत नहीं है। वे सक्षम हैं। जबकि इंतखाब आलम ने ट्‍वीट में कहा कि आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि मुसलमान दूसरे भारतीयों से अलग हैं।

राजकुमार नामक एक व्यक्ति ने यादव के ट्‍वीट के जवाब में कहा कि यादव सर, अर्थ का अनर्थ मत करिए। कृपया घृणा फैलाने की कोशिश मत कीजिए। जावेद अहमद कहते हैं- मोदी जी बोलते कुछ हैं और निशाना कुछ और होता है। लोकसभा चुनाव याद है... जब उन्होंने पूरे देश में सब कुछ पहना था, सिवाय टोपी के। 

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