मोदी ने 'स्वराज्य' पत्रिका को दिए एक साक्षात्कार में महा गठबंधन को प्रधानमंत्री की कुर्सी हथियाने की महादौड़ बताया और कहा कि इसमें हर दल का नेता प्रधानमंत्री बनना चाहता है, लेकिन गठबंधन का दूसरा सहयोगी उसे पीछे धकेलकर खुद दौड़ जीतना चाहता है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है। ममता बनर्जी खुद प्रधानमंत्री बनना चाहती हैं, लेकिन इसमें वाम दलों को दिक्कत है। समाजवादी पार्टी मानती है कि उनका नेता प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे ज्यादा योग्य है। महागठबंधन में जनता की खुशहाली पर किसी का ध्यान नहीं है, सबका जोर सत्ता हथियाने पर है।
उन्होंने कहा कि जहां तक 1977 और 1989 में महागठबंधन बनने की बात है तब स्थितियां अलग थीं। वर्ष 1977 का महागठबंधन आपातकाल के कारण खतरे में पड़े लोकतंत्र को बचाने के लिए था जबकि 1989 का महागठबंधन देश को झकझोरने वाले बोफोर्स घोटाले के कारण हुए था। इस बार के महागठबंधन के एजेंडे में राष्ट्रहित नहीं बल्कि खुद के अस्तित्व को बचाने, सत्ता हथियाने और मोदी को हटाना है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास उनको हटाने के अलावा और कोई एजेंडा नहीं है।
मोदी ने कहा कि देश की जनता को यह जानना चाहिए कि गठबंधन को लेकर कांग्रेस की क्या सोच है। इस पार्टी ने 1998 में पंचमढ़ी शिविर में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष ने गठबंधन को गुजरे दौर की राजनीति बाताकर एकल चलो की नीति पर काम करने और एक पार्टी के शासन की इच्छा व्यक्ति की थी। वही कांग्रेस आज सहयोगियों को जुटाने के लिए दर-दर भटक रही है।
कांग्रेस क्षेत्रीय पार्टी : मोदी ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को एक क्षेत्रीय दल बताते हुए कहा कि वह अपना अस्तित्व बचाने के लिये संघर्ष कर रही है। कांग्रेस सिर्फ पंजाब, मिजोरम और पुडुचेरी में सत्ता में है। दिल्ली, आंध्रप्रदेश और सिक्किम विधानसभा में उसका एक भी सदस्य नहीं है। उत्तर प्रदेश और बिहार में उसकी हालत क्या है सबको पता है। उसकी यह हालत देश की जनता ने की है, जिसने उसकी मनमानी को अस्वीकार कर दिया है। (वार्ता)