NCERT की खास किताब, दृष्टिहीन और सामान्य बच्चे एक साथ पढ़ सकेंगे

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017 (18:31 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) ने स्कूली बच्चों के लिए ऐसी पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिन्हें दृष्टिहीन, अन्य विकलांग तथा सामान्य बच्चे साथ-साथ बैठकर पढ़ सकते हैं।
 
एनसीईआरटी के निदेशक हृषिकेश सेनापति और विशेष आवश्यकता समूह विभाग की अध्यक्ष प्रो. अनुपम आहूजा ने शुक्रवार को बताया कि पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों के लिए 'बरखा : एक पठन श्रृंखला सभी के लिए' के तहत कहानी की 40 पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं, जिनमें विषयवस्तु हिन्दी के साथ ही ब्रेल लिपि में दी गयी है और इन्हें चित्रों के माध्यम से भी समझाया गया गया है। इन पुस्तकों को दृष्टिहीन, मूक बधिर एवं अन्य तरह के विकलांग बच्चे सामान्य बच्चों के साथ बैठकर पढ़ सकते हैं।
 
इन किताबों का डिजिटल फॉर्म भी एनसीईआरटी की वेबसाइट पर उपलब्ध है और ये मुफ्त डाउनलोड की जा सकती हैं। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गत दिनों इन पुस्तकों का विमोचन किया था।
 
सेनापति तथा प्रोफेसर आहूजा ने बताया कि इन पुस्तकों का बारकोड युक्त एक कार्ड भी बनाया गया है, जिसे मोबाइल फोन में भी डाउनलोड किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि मूक बधिर बच्चों के लिए सांकेतिक भाषा में भी पुस्तकें लाई जाएंगी। 
 
उन्होंने कहा कि विकलांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पहली बार यह अभिनव प्रयोग किया गया है ताकि विकलांग बच्चे स्कूलों में सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाई कर सकें। विकलांगता संशोधन कानून 2016 के अनुसार विकलांग बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ-साथ पढ़ाना अनिवार्य है।
 
दोनों अधिकारियों ने कहा कि पहले विकलांग बच्चों के लिए अलग स्कूल या अलग किताबें होती थीं, लेकिन इस अलगाव से उनका सामान्य बच्चों के साथ मेलजोल नहीं हो पता था, लेकिन अब विकलांग और सामान्य बच्चे एक साथ ही ये पुस्तकें पढ़ सकेंगे जिससे भेदभाव दूर हो सकेगा और सामान्य बच्चे विकलांग बच्चों के साथ संवेदनशील हो सकेंगे। 
 
उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को इन किताबों से परिचित कराया गया है ताकि वे अपने स्कूलों के लिए इस तरह की किताबें छाप सकें। उन्होंने कहा कि स्कूलों में विकलांग एवं सामान्य बच्चों की अलग-अलग श्रेणी नहीं होने चाहिए बल्कि ऐसा होना चाहिए कि दोनों तरह के बच्चे सामान्य स्पर्धा में भाग ले सकें।
 
एक सवाल पर उन्होंने बताया कि ये पुस्तकें डेढ़ साल की मेहनत के बाद तैयार की गई हैं। इन पर किस तरह की प्रतिक्रिया आती है, उसके बाद ही बड़ी कक्षाओं के  लिए किताबें छापी जाएंगी और भविष्य में पाठ्य-पुस्तकें भी छापी जा सकेंगी। (वार्ता)

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