एनडीटीवी के प्रसारण पर रोक की निंदा

शुक्रवार, 4 नवंबर 2016 (12:10 IST)
नई दिल्ली। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सूचना और प्रसारण की अंतर-मंत्रालयीन समिति के अभूतपूर्व फैसले की कठोर निंदा की है और मांग की है कि एनडीटीवी हिंदी का एक दिन का प्रसारण रोकने के आदेश पर तत्काल रोक लगाई जाए। न्यूज चैनलों की संस्था बीईए ने भी इस फैसले को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह बोलने की आजादी के खिलाफ है।   

 
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हिंदी समाचार चैनल 'एनडीटीवी इंडिया' के प्रसारण पर 24 घंटे की रोक लगाते हुए कहा है कि पठानकोट आतंकवादी हमले की कवरेज में प्रसारण नियमों का उल्लंघन करने पर यह प्रतिबंध लगाया गया है। सरकारी समिति का कहना है कि 2 जनवरी, 2016 को पठानकोट आतंकी हमले की कवरेज के दौरान कहा गया था कि सरकारी दावों के कारण आतंकवादियों के हैंडलर्स को संवेदनशील जानकारी मिली थी। जबकि चैनल का कहना है कि उसकी ओर से ऐसा कुछ दिखाया या बताया नहीं गया है जिसे शेष मीडिया ने ना दिखाया हो और जो जानकारी सार्वजनिक ना हो।  
 
सूत्रों का कहना है कि एनडीटीवी इंडिया से आठ-नौ नवंबर की आधी रात से नौ-10 नवंबर की आधी रात तक प्रसारण बंद करने के लिए कहा गया है। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक, चैनल ने सैन्य अड्डे की कुछ संवेदनशील जानकारियां उजागर की थीं।
 
एडीटर्स गिल्ड ऑफ ‍इंडिया का कहना है कि सरकार, मीडिया की स्वतंत्रता में प्रत्यक्ष रूप से दखल दे रही है और यह मनमाने तरीके से दंडित करने की कार्रवाई है जो कि आपात काल के दिनों की याद दिलाती है। गिल्ड ने सरकार से मांग की है कि प्रतिबंध की इस कार्रवाई को तुरंत खारिज किया जाए।

क्या कहा एनडीटीवी ने : प्रतिबंध के फैसले पर एनडीटीवी ने कहा कि चौंकाने वाली बात यह है कि प्रत्येक चैनल
और समाचार पत्र ने एक जैसा कवरेज दिया लेकिन फिर भी इसे अकेले ही दंडित किया जा रहा है। यह कृत्य
आपातकाल की याद दिलाता है और एनडीटीवी इस मामले पर अपने सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहा है। चैनल ने कहा कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का आदेश प्राप्त हुआ। यह चौंकाने वाला है कि एनडीटीवी पर इस तरह से चुनिंदा तौर पर निशाना साधा गया। हर चैनल और अखबार ने इसी तरह का कवरेज दिया था। बल्कि एनडीटीवी का कवरेज तो विशेष तौर पर संतुलित था।

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