नेपाल ने उसकी जनता के पास जमा पुराने 500 एवं 1000 रुपए के नोटों को बदलवाने के लिए भारत से शुक्रवार को फिर मदद का अनुरोध किया और कहा कि अगर इस समस्या का जल्द समाधान नहीं किया गया तो नेपाली जनता का भारत पर विश्वास उठ जाएगा। नेपाल के राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने दिल्ली दक्षिण एशियाई विदेशी संवाददाता क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि नोटबंदी के निर्णय के बाद उन्होंने नेपाली जनता को होने वाली तकलीफों को भारत सरकार के समक्ष उठाया था और उन्हें सर्वोच्च स्तर से आश्वासन मिला है कि भारत सरकार नेपाल को पूरी मदद देगी।
उपाध्याय ने बताया कि नेपाल राष्ट्र बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ निरंतर संपर्क में है। उन्होंने बताया कि नेपाल ने 600 करोड़ रुपए की भारतीय मुद्रा डॉलर देकर खरीदी है। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि नेपाल राष्ट्र बैंक में इस समय मौजूद प्रतिबंधित भारतीय नोटों का मूल्य करीब आठ करोड़ रुपए है। उन्होंने कहा कि नेपाल की सबसे बड़ी समस्या यह है कि दूर दराज के गांवों में रहने वाले लाखों लोगों ने भारत में कमाए गए पांच से लेकर 50 हजार रुपए अपने घरों में आपात जरूरतों के लिए रखे हुए हैं। क्योंकि नेपाल में बैंकिंग नेटवर्क उतना मज़बूत नहीं है। उनके घरों में रखे धन की कुल मात्रा का अंदाजा लगाना संभव नहीं है। नोटबंदी के बाद ऐसे लाखों लोग सड़क पर आ गए हैं। नेपाल सरकार के हस्तक्षेप पर भारत ने सर्वोच्च स्तर से आश्वासन दिया कि नेपाल की समस्या का समाधान किया जाएगा तो नेपाल के लोगों ने उस पर पूरा विश्वास किया।
उपाध्याय ने नोटबंदी की संवेदनशीलता की ओर संकेत करते हुए कहा कि उन्हें अब भी पूरा विश्वास है कि भारत अपने आश्वासन को अवश्य पूरा करेगा, लेकिन अगर भारत की ओर से समय पर मदद नहीं मिली तो नेपाली जनता का नेपाल सरकार, भारत में नेपाली दूतावास और भारत सरकार तीनों पर से भरोसा उठ सकता है।