प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने तहसीन पूनावाला की याचिका पहले से ही लंबित मामले के साथ संलग्न करते हुए कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को नौकरियों और दाखिले में आरक्षण देने के केंद्र के फैसले पर कोई रोक नहीं लगाई जाएगी।
'यूथ फॉर इक्वेलिटी' ने अपनी याचिका में संविधान (103वें संशोधन) कानून, 2019 रद्द करने का अनुरोध किया है। इस संगठन के अध्यक्ष कौशल कांत मिश्रा की ओर से दाखिल याचिका में कहा गया है कि आरक्षण के लिए केवल आर्थिक कसौटी ही आधार नहीं हो सकता और यह विधेयक संविधान के बुनियादी नियमों का उल्लंघन करता है, क्योंकि आर्थिक आधार पर आरक्षण को सामान्य वर्ग तक ही सीमित नहीं किया जा सकता और कुल 50 प्रतिशत की सीमा को भी पार नहीं किया जा सकता।