नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में आने वाले समय में बड़ी संख्या में न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों के पदों के रिक्त होने पर चिंता जताते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सरकार से पूछा कि क्या वह पर्यावरण संरक्षण संस्था को बंद करवाना चाहती है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर ने यह सवाल तब उठाया, जब उन्हें सूचित किया गया कि दिसंबर के बाद अधिकरण में महज 3 न्यायिक सदस्य तथा 2 विशेषज्ञ सदस्य ही बचेंगे। पीठ ने सरकार को 2 हफ्तों के भीतर स्थिति रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया। अब मामले पर सुनवाई 14 सितंबर को होगी।
अदालत अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें एनजीटी में रिक्तियां भरने की मांग की गई थी। बंसल की ओर से पेश वकील सुमीर सोढ़ी ने कहा कि नौकरशाही में लालफीताशाही के कारण एनजीटी जैसा उत्कृष्ट संस्थान समय पूर्व बंद होने के कगार पर है।
अदालत को यह भी बताया गया कि इसके अधिकांश सदस्य सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं, ऐसे में एनजीटी की 2 जोनल शाखाएं अक्टूबर माह तक काम करना बंद कर देंगी। याचिका में कहा गया कि वर्तमान में एनजीटी में 8 न्यायिक सदस्य और 6 विशेषज्ञ सदस्य हैं जिनमें से कई सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं।
ऐसे में 9 दिसंबर के बाद विशेषज्ञ सदस्यों की संख्या घटकर 2 रह जाएगी और 13 फरवरी 2018 के बाद पैनल में केवल 3 न्यायिक विशेषज्ञ ही रह जाएंगे। (भाषा)