नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सोमवार को बड़ी राहत प्रदान करते हुए बिहार विधान परिषद की उनकी सदस्यता रद्द करने संबंधी याचिका सोमवार को खारिज कर दी। याचिका में इस आधार पर नीतीश कुमार की विधान परिषद की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई थी कि उन्होंने नामांकन भरते वक्त अपने विरुद्ध लंबित एक आपराधिक मामले की जानकारी कथित रूप से छिपाई थी।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने पेशे से वकील मनोहरलाल शर्मा की याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि इसमें कोई दम नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने इस संबंध में चुनाव आयोग से हलफनामा दाखिल करने को कहा था। चुनाव आयोग के हलफनामे पर विचार करते हुए न्यायालय ने बिहार के मुख्यमंत्री के खिलाफ दाखिल याचिका रद्द कर दी। आयोग ने हलफनामे में कहा था कि बिहार के मुख्यमंत्री के खिलाफ याचिका 'विचार योग्य नहीं' है। आयोग ने याचिका को 'अदालत की प्रक्रिया का दुरुपयोग' भी करार दिया था। (वार्ता)