उन्होंने एक लिखित उत्तर में कहा कि आस्ति-गुणवत्ता समीक्षा (एक्यूआर) और बैंकों द्वारा बाद में संकट की पहचान करने में पारदर्शी से संकट में फंसे खातों को एनपीए के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया था। इसके अलावा जिन पुनर्गठित समस्याग्रस्त खातों के साथ पहले ढील दी गई थी और उनके संबंध में बैंकों ने हानि के प्रावधान नहीं किए थे, उनके लिए प्रावधान किए गए। ऐसे सभी कर्जों के पुनर्गठन की सुविधा वापस ले ली गई।
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा संकटग्रस्त ऋणों की पहचान, संकल्प, पुनर्पूंजीकरण और सुधारों की रणनीति के परिणामस्वरूप 30 सितंबर 2020 तक एनपीए 2,27,388 करोड़ रुपए घटकर 8,08,799 करोड़ रुपए रह गया है।