प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बीते 8 अक्टूबर को कालेधन पर लगाम लगाने के लिए 500-1000 रुपये के पुराने नोटों के प्रचलन पर पाबंदी लगाने की घोषणा के साथ ही इन्हें बदलने के लिए बैंकों में लाखों नोट जमान होने लगे हैं। ऐसे में आपके जेहन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि आखिर इन पुराने नोटों का इतना भारी अंबार इकट्ठा करने के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इनका क्या करेगी?
दरअसल, 10 दिसंबर से देशभर के बैंकों-डाकघरों, सरकारी अस्पतालों, पेट्रोल-सीएनजी पंपो, रेलवे-बस-हवाई अड्डों, बिजली-पानी-संपत्ति कार्यालयों समेत तमाम सरकारी कार्यालयों में लोग अपने पुराने नोट देकर या तो नए नोट ले रहे हैं या फिर इन्हें देकर अपने पुराने बिल जमा कर रहे हैं या भुगतान कर रहे हैं। इसका सीधा सा मतलब कि सरकारी संस्थानों, बैंकों के पास भारी तादाद में पुराने करेंसी नोट इकट्ठा होते जा रहे हैं। इन सभी के पास इकट्ठा नोटों को बाद में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास भेजा जाएगा। जहां इन नोटों का भविष्य तय किया जाएगा। लेकिन आरबीआई ने इन पुराने करेंसी नोटों का भविष्य तय करते हुए पहले ही बता दिया है कि वह इन नोटों को नष्ट करेगा।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, "हम पूरी तरह से इन पुराने करेंसी नोटों की श्रेडिंग (नोटों का महीन काटकर नष्ट करना) करने के लिए हर तरह से तैयार हैं।" उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "क्योंकि इन नोटों को रिसाइकल नहीं किया जा सकता है, इसलिए इन्हें श्रेड किया जाएगा और फिर इन्हें पिघलाकर कोयले की ईंटों को तैयार किया जाएगा। इसके बाद इन ईंटों को ठेकेदारों को दे दिया जाता है जो इनका इस्तेमाल सड़कों के गड्ढों जैसी लैंड फिलिंग के लिए करते हैं।"
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मार्च 2016 तक देश में 1,570.70 करोड़ 500 रुपये के नोट प्रचलन में थे। जबकि 1,000 रुपये के 632.60 करोड़ नोट लेनदेन में इस्तेमाल किए जा रहे थे। वहीं, दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में पुराने नोटों को अलग-अलग ढंग से नष्ट किया जाता है। कहीं पर इन्हें जला दिया जाता है तो कहीं पर इनसे खाद बनाई जाती है।