नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ यूरोपीय संसद में पेश किए गए प्रस्तावों के संबंध में उसके अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को सोमवार को पत्र लिखकर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि किसी विधायिका द्वारा किसी अन्य विधायिका को लेकर फैसला सुनाना अनुचित है। इस परिपाटी का निहित स्वार्थ वाले लोग दुरुपयोग कर सकते हैं।
बिरला ने साथ ही कहा कि अंतरसंसदीय संघ का सदस्य होने के तौर पर हमें साथी विधायिकाओं की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने पत्र में लिखा कि मैं यह बात समझता हूं कि भारतीय नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 को लेकर यूरोपीय संसद में ‘ज्वाइंट मोशन फॉर रेजोल्यूशन’ पेश किया गया है। इस कानून में हमारे निकट पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचार का शिकार हुए लोगों को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान है।
बिरला ने कहा कि CAA का लक्ष्य किसी से नागरिकता छीनना नहीं है और इसे भारतीय संसद के दोनों सदनों में आवश्यक विचार-विमर्श के बाद पारित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि 751 सदस्यीय EU संसद में करीब 600 सांसदों ने सीएए के खिलाफ छह प्रस्ताव पेश किए हैं जिनमें कहा गया है कि इस कानून का क्रियान्वयन भारतीय नागरिकता प्रणाली में खतरनाक बदलाव करता है।