पूर्व नौकरशाहों ने प्रज्ञा द्वारा कर्नाटक में दिए गए उनके एक भाषण को लेकर दावा किया कि यह गैर-हिंदू समुदायों के खिलाफ नफरत फैलाने वाला है। एक खुले पत्र में, उन्होंने कहा कि ठाकुर ने बार-बार भड़काऊ भाषण देने और नफरत फैलाने के चलते संसद सदस्य होने का नैतिक अधिकार खो दिया है।
पत्र में कहा गया कि संसद के सदनों पर एक विशेष जिम्मेदारी होती है, जो देश के लिए कानून बनाते हैं। निश्चित रूप से इसके सदस्यों को संविधान के सिद्धांतों का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। इसमें कहा गया, इसलिए, हम लोकसभा के माननीय अध्यक्ष से आग्रह करते हैं कि इस मामले को उचित कार्रवाई के लिए लोकसभा की आचार समिति को तत्काल भेजें।
गौरतलब है कि 25 दिसंबर को कर्नाटक के शिवमोगा जिले में हिंदू जागरण वेदिके की दक्षिणी क्षेत्रीय इकाई के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सांसद ठाकुर ने कथित तौर पर कहा था कि हमारे घरों में घुसपैठ करने वालों को माकूल जवाब दें। ठाकुर ने हिंदू कार्यकर्ताओं की हत्या की घटनाओं के मद्देनजर कहा था कि हिंदुओं को उन पर और उनकी गरिमा पर हमला करने वालों को जवाब देने का अधिकार है।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 103 लोगों में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग, पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन, भारतीय पुलिस सेवा के पूर्व अधिकारी एएस दुलत, जूलियो रिबेरो और अमिताभ माथुर तथा भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी टीकेए नायर और के. सुजाता राव शामिल हैं। (भाषा/वेबदुनिया)