इमरान के फैसले ने तोड़ी आम जनता की कमर, 300 रुपए किलो हुआ टमाटर

Webdunia
शनिवार, 10 अगस्त 2019 (17:12 IST)
नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने से तिलमिलाए पाकिस्तान ने आनन-फानन में भारत से व्यापारिक रिश्ते तोड़ने का फैसला तो ले लिया, लेकिन यह फैसला उसे बहुत महंगा पड़ रहा है। सब्जियों के स्वाद बढ़ाने वाले टमाटर की कीमत पाकिस्तान में 300 रुपए प्रतिकिलो तक पहुंच गई है।
 
भारतीय किसानों और व्यापारियों ने पाकिस्तान को अपने सामान निर्यात करने से मना कर दिया है। इसका असर यह हुआ कि भारत से निर्यात किए जाने वाले कई वस्तुओं की कीमतें अब आसमान छू रही हैं। 
 
सब्जियों के स्वाद बढ़ाने वाले टमाटर की कीमत पाकिस्तान में 300 रुपए प्रतिकिलो तक पहुंच गई है। सिर्फ टमाटर ही नहीं, भारत से पाकिस्तान जाने वाली कई सब्जियों के दाम आसमान छू रहे हैं। इमरान खान के भारत से कारोबारी रिश्ते खत्म करने के फैसले का खामियाजा वहां की आम जनता को उठाना पड़ रहा है।
आत्मघाती फैसले रहा है पाकिस्तान : आर्टिकल 370 खत्म करने से पाकिस्तान को कुछ सूझ ही नहीं रहा है और वह ऐसे फैसले ले रहा है, जो उसके लिए ही आत्मघाती साबित हो रहे हैं। सिर्फ सामरिक ही नहीं, आर्थिक मोर्चे पर लिए फैसले भी पाकिस्तान को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
 
भारत के प्याज और टमाटर खाता है पाकिस्तान : पाकिस्तान की ओर से भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा नहीं दिया गया था, इसके चलते सीमित चीजों का एक्सपोर्ट ही भारत कर पाता था। ऐसे में पाकिस्तान के ‍लिए ही यह फैसला नुकसानदेह साबित हो रहा है, क्योंकि वह तमाम कृषि उत्पादों के लिए भी भारत पर निर्भर रहा है।
 
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर बिस्वजीत धर के मुताबिक लॉन्ग टर्म की बात हो या फिर शॉर्ट टर्म की, इस फैसले से पाकिस्तान ही ज्यादा प्रभावित हो रहा है। इसका कारण यह है कि वह टमाटर और प्याज तक के लिए भारत पर निर्भरता रखता है।

भारत ने कस्टम ड्‍यूटी कर दी थी 200 प्रतिशत : इसी वर्ष 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत और पाकिस्तान के बीच कारोबार निचले स्तर पर थे। आतंकवादी घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान से आने वाली चीजों पर 20 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी कर दी थी।

कॉमर्स मिनिस्ट्री के डेटा के अनुसार इस फैसले के चलते पाक से होने वाले आयात में 92 पर्सेंट की गिरावट आई थी और यह इस साल मार्च में महज 2.84 मिलियन डॉलर ही रह गया था, जबकि मार्च 2018 में यह 34.61 अमेरिकी डॉलर था।

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