रिपोर्ट के अनुसार गाइड बनकर आए आतंकियों के पास कोई मशीनगन तो नहीं था, लेकिन उनके पास आईईडी और अमोनियम नाइट्रेट के अलावा बेहद ज्वलनशील तरल पदार्थ था। आतंकियों का इरादा सैन्य साजो-सामान को नुकसान पहुंचाने का था। हमलों के दौरान आतंकियों की इस योजना को भारतीय जवानों ने नाकाम कर दिया।
कुछ अन्य रिपोर्टों के मुताबिक, 4 आतंकियों का जत्था 2 जनवरी की सुबह 10 फुट ऊंची दीवार और कंटीली तारों को पारकर वायुसेना अड्डे में प्रवेश कर गया। टोही विमानों के थर्मल उपकरण के जरिये अगले दिन ही उनकी मौजूदगी का पता चल गया था।
2 जनवरी को तड़के चार आतंकियों के पहले जत्थे ने कैफ्टेरिया के पास गोलीबारी शुरू कर दी। जिसके बाद सैन्य बलों ने तुरंत जवाबी कार्रवाई शुरू की, जिस वजह से ये आतंकी एक जगह ही फंसकर रह गए और वे टेक्निकल एरिया तक नहीं पहुंच पाए।