गुरसेवक सिंह का अंतिम संस्कार, पिता को बेटे की 'शहादत' पर फख्र

सोमवार, 4 जनवरी 2016 (17:11 IST)
अंबाला (हरियाणा)। पठानकोट आतंकी हमले में शहीद हुए गरूड़ कमांडो गुरसेवक सिंह का सोमवार को यहां जिले में उनके पैतृक कस्बे में पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। 'भारत माता की जय' के नारों के बीच 25 वर्षीय गुरसेवक के बड़े भाई हरदीप ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनकी शहादत के सम्मान में तोपों की सलामी भी दी गई।
पिछले साल नवंबर में ही उनकी शादी हुई थी। श्मशान घाट के लिए उन्हें ले जाने से पहले उनकी मां अमरीक कौर कई बार बेहोश हो गईं, जबकि उनकी विधवा पत्नी जसप्रीत कौर बेहद गमगीन थीं। इस दौरान वहां पर उनके गांव वालों को उनके बचपन से जुड़े किस्सों के बारे में आपस में बात करते देखा गया।
 
एक स्थानीय निवासी मलकित सिंह ने बताया, उन्हें उनकी अनुकरणीय वीरता के लिए याद किया जाएगा। पठानकोट वायुसेना स्टेशन में आतंकियों की गोलियों से घायल होने के बावजूद उन्होंने लड़ना जारी रखा। आज सवेरे जब तिरंगे में लिपटा हुआ उनका शव उनके गांव पहुंचा तो गांव वाले भी वहां पहुंच गए। 
 
इस दौरान हरियाणा के मंत्री अनिल विज और अभिमन्यु भी वहां मौजूद थे। वायुसेना के बड़े अधिकारियों के अलावा इस दौरान सैन्यकर्मी, पुलिस कर्मी और सामान्य प्रशासन के लोग भी वहां मौजूद थे।
 
स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह को अपना आदर्श मानने वाले गुरसेवक स्नातक तक की पढ़ाई करने के बाद वायुसेना में भर्ती हुए थे। उनकी पिछले साल 18 नवंबर को ही शादी हुई थी।
 
गुरसेवक के पिता सूचा सिंह भी सेना में रहे और यह उनके परिवार की परंपरा ही है जिसे उन्होंने यूं ही बनाए रखा। उनके बड़े भाई हरदीप भी सुरक्षाबल में कार्यरत हैं। हकीकत में सैन्यबलों में अपने क्षेत्र के युवाओं को भेजने में शहीद के गांव का अहम योगदान है।
 
शहीद के पिता ने कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके बेटे ने देश के लिए लड़ते हुए अपनी जान दे दी। सूचा सिंह ने कहा कि गुरसेवक के शहीद हो जाने की जानकारी उन्हें उनके बड़े बेटे से मिली जो कि स्वयं सेना में एक अधिकारी है।
 
सूचा ने कहा, मेरे बेटे ने देश की सेवा करते हुए जान दी। मुझे उस पर गर्व है। उसने अपना कर्तव्य निभाया। हम दु:खी भी हैं। मेरा बड़ा बेटा भी सेना में है और देश की सेवा कर रहा है। मेरे छोटे बेटे ने अपने देश के लिए जान दे दी है। वह हमेशा से पढ़ाई में अच्छा था और वायुसेना में जाना चाहता था।
 
गुरसेवक के चचेरे भाई हरिकृष्ण सिंह ने कहा, उसने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई बेंगलुरु में पूरी की थी। हमने एक योद्धा को खो दिया। गुरसेवक के पिता ने अपने बेटे को एक मेधावी युवा बताया, जिसने पहली ही बार में वायुसेना की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी।
 
हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि सारा देश माटी के इस सपूत की शहादत को याद रखेगा। (भाषा)

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