लगातार बढ़ रही पेट्रोल और डीजल की कीमतों से जनता हैरान-परेशान है। तेल की कीमतों की वजह से लोगों का सरकार के प्रति आक्रोश बढ़ता नजर आ रहा है। लोग इस बात से भी हैरान है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतें जिस तेजी से बढ़ती है उतनी ही जल्दी कम क्यों नहीं होती। भारत में हर राज्य में तेल के दाम अलग-अलग होने की खास वजह है केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा जनता से वसूला जाने वाला टैक्स।
कच्चे तेल की कम कीमतों के बावजूद भी ईंधन की कीमतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही क्योंकि केंद्र सरकार जनता से वसूले जाने वाले टैक्स में कोई कमी करने को तैयार नहीं है जिस वजह से जनता इसका फायदा नहीं उठा पा रही है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ने के लिए केवल मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराना सही नहीं होगा क्योकि इसमें राज्य सरकारे भी शामिल है।
देखा जाए संप्रग सरकार के मुकाबले आज तो कच्चे तेल (क्रूड आयल) की कीमतें कम है। फिर भी भारत में तेल की कीमतें आसमान छू रही है। मनमोहन सिंह के राज में आज के मुकाबले दोगुने दाम पर कच्चा तेल मिलता था। आज भारत को कच्चा तेल लगभग 67 रुपए/बैरल में मिल जाता है। वही अप्रैल 2013 में यूपीए सरकार के समय हमें इसके लिए लगभग 120 रुपए/बैरल चुकाने होते थे।
अगर हम अपने पडोसी देशों को देखे तो यहां पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें भारत से कम ही देखी जाएंगी। जहां आज दिल्ली (भारत) में पेट्रोल की कीमत 76.30 रुपए/लीटर, मुंबई में 84.18 रुपए/लीटर और कलकत्ता में 79.02 रुपए/लीटर है। वहीं पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 68.4 रुपए/लीटर है, और कई देश जैसे बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, आदि में पेट्रोल और डील की कीमतें भारत से कम ही देखने को मिलेगी।
अगर इसकी तुलना 2013 में आई यूपीए सरकार से करेंगे तो जहां दिल्ली में पेट्रोल 63.09 रुपए/लीटर, कलकत्ता में 70.35 रुपए/लीटर, मुंबई में 69.73 रुपए/लीटर और चेन्नई में 65.9 रूपए/लीटर था, आज उसी पेट्रोल की कीमत ने जनता को परेशान कर रखा है। डीजल भी कही पीछे नहीं रहा है, जहां 2013 में, जब यूपीए की सरकार थी तब डीजल 58-59 रुपए/लीटर था आज दिल्ली में 67.85 रुपए/लीटर, कलकत्ता में 70.4 रुपए/लीटर और मुंबई में 74.4 रुपए/लीटर है।