वॉशिंगटन। दुनियाभर के 17 मीडिया संस्थानों की कंसोर्टियम ने दावा किया है कि दुनियाभर में सरकारें पत्रकारों और एक्टिविस्टों की जासूसी करा रही है। कई मीडिया संस्थानों की जांच में यह खबर सामने आई है। मीडिया खबरों के मुताबिक भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक डाटाबेस में पाए गए हैं, जिन्हें इजरायली स्पाईवेयर Pegasus के इस्तेमाल से हैक किया गया है।
रविवार को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार भारत सहित कई देशों में सरकारों ने करीब 180 पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और ऐक्टिविस्ट्स इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप के हैकिंग सॉफ्टवेयर पेगासस (Pegasus) का इस्तेमाल कर जासूसी की गई।
कैसे काम करता है पेगासस वायरस? : जासूसी की दुनिया में पेगासस का बड़ा नाम है। पेगासस एक मैलवेयर है जो आईफोन और एंड्रॉइड डिवाइस को हैक कर लेता है। पेगासस स्पाइवेयर के जरिए हैकर को स्मार्टफोन के माइक्रोफोन, कैमरा, मैसेज, ई-मेल, पासवर्ड, और लोकेशन जैसे डेटा का एक्सेस मिल जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक पेगासस आपको एन्क्रिप्टेड ऑडियो स्ट्रीम सुनने और एन्क्रिप्टेड मैसेज को पढ़ने की अनुमति देता है। यानी हैकर के पास आपके फोन की लगभग सभी फीचर तक पहुंच होती है। इस सॉफ्टवेयर से फोन के माइक को गुप्त रूप से एक्टिव किया जा सकता है।
क्या कहना है कंपनी का : पेगासस बनाने वाली कंपनी NSO ग्रुप का कहना है कि वह किसी निजी कंपनी को यह सॉफ्टवेयर नहीं बेचती है, बल्कि इसे केवल सरकारों को ही सप्लाई किया जाता है। ऐसे में सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकार ने ही भारतीय पत्रकारों की जासूसी कराई? कंपनी ने कहा कि सभी आरोपों को गलत और भ्रामक बताया है। कंपनी ने कहा कि वह गार्जियन अखबार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रही है।
केंद्र सरकार ने किया इंकार : इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने इस पर जवाब देते हुए कहा है कि सरकार ने देश में किसी का भी फोन गैरकानूनी रूप से हैक नहीं किया है। केंद्र सरकार ने कहा कि उसने व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 और सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 को प्रस्तुत किया है ताकि लोगों के निजी डेटा की रक्षा की जा सके और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के यूजर्स को सशक्त बनाया जा सके।
सरकार का कहना है कि विशिष्ट लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई भी ठोस आधार नहीं है। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ऐसी रिपोर्ट भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने की कोशिश प्रतीत होती है। देश में एक अच्छी तरह से स्थापित प्रक्रिया है जिसके जरिए राष्ट्रीय सुरक्षा के उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक संचार का वैध इंटरसेप्शन किया जाता है। खासतौर पर केंद्र और राज्यों की एजेंसियों द्वारा किसी आपात स्थिति या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में ऐसा किया जाता है।