उन्होंने कहा कि मंदिर के लिए की गई पाइलिंग टेस्टिंग फेल हो गई। कंकरीट के खंभे 700 टन का लोड डालते ही धंस गए। मंदिर की आयु बढ़ाने के लिए सीमेंट में अभ्रक, कोयले के साथ कुछ अन्य केमिकल मिलाने पर विचार चल रहा है।
उन्होंने कहा कि देश भर के विशेषज्ञों ने राममंदिर के लिए हजार वर्ष की लिखित गारंटी देने में हाथ खड़े कर दिए हैं। मंदिर के लिए बनाई गई टेस्ट पाइलिंग पहले ही फेल हो चुकी है। टेस्ट पिलर पर लोड डालने के बाद जैसे ही भूकंप जैसे झटके दिए गए उनमें दरारें आ गईं और वे लचक गए। इसे देखते हुए ट्रस्ट ने नए सिरे से तकनीकी विशेषज्ञों के साथ मंथन शुरू कर दिया है।
मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने लार्सन एंड टूब्रो तथा टाटा कंसल्टेंसी को सौंपी है। इसकी मजबूती के लिए विशेषज्ञों की 8 सदस्यीय टीम भी बनाई गई है, लेकिन कोई भी हजार साल तक सुरक्षित रहने वाले मंदिर की गारंटी देने को तैयार नहीं है।
उन्होंने कहा कि डिजाइन के अनुसार मंदिर की 32 सीढ़ियां चढ़कर रामलला के दर्शन होंगे। इस कार्य में 16 हजार घन फीट पत्थर लगेंगे। इसके लिए साढ़े सोलह फुट ऊंचा प्लेटफॉर्म बनाया जाएगा। यह दो फुट लंबा, दो फुट चौड़ा और दो फुट ऊंचा होगा। प्लेटफॉर्म में भी पत्थरों का इस्तेमाल होगा, जिस खान से यह पत्थर आने हैं उसका भी चयन हो गया है।
चंपत राय ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए आगामी 14 जनवरी मकर संक्राति से 27 फरवरी तक चलने वाले जनसंपर्क अभियान को लेकर अयोध्या में भी संत सम्मेलन का आयोजन विहिप मुख्यालय कारसेवकपुरम में हुआ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अयोध्या में सबके आराध्य भगवान राम का घर बन रहा है। उनके घर के निर्माण के लिए हम दान नहीं बल्कि ऐच्छिक समर्पण मांग रहे हैं। यह धन संग्रह नहीं बल्कि निधि संग्रह अभियान होगा। जिसके तहत देश की आधी आबादी से जनसंपर्क किया जाएगा।
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव ने कहा कि अभियान को लेकर देश के 40 शहरों में बैठकें होंगी। भगवान का घर तोड़ा गया था वह अब फिर से बन रहा है, समाज स्वेच्छा से समर्पण करें। उन्होंने कहा कि हमारे पास चार रास्ते हैं। पहला रास्ता हम बड़े-बड़े उद्योगपतियों टाटा, बिरला, अंबानी के पास जाएं, दूसरा दुनिया के लोगों से दौलत मंगवाए, तीसरा बड़ी-बड़ी कंपनियों का सहयोग लें और चौथा मार्ग जनता के पास जाएं। हमने चौथा मार्ग चुना है। इसके बाद यदि कुछ बचता है तो अन्य मार्ग भी अपनाएंगे। टाटा, बिरला, अंबानी भी जनता का ही एक हिस्सा हैं। उन्होंने बैठक में शामिल संतों से भी कहा कि वो इस अभियान में शामिल हों।