गोयल ने ट्वीट किया, 'सोनिया गांधी जी आरसीईपी और एफटीए को लेकर अचानक जाग गई हैं। जब आसियान के साथ एफटीए पर 2010 में हस्ताक्षर हुए थे, तब वह कहां थीं? जब दक्षिण कोरिया के साथ एफटीए पर 2010 में हस्ताक्षर हुए थे, तब वह कहां थीं? जब मलेशिया के साथ एफटीए पर 2011 में हस्ताक्षर हुए थे, जब जापान के साथ 2011 में एफटीए पर हस्ताक्षर हुए थे, तब वह कहां थीं?'
उन्होंने ट्वीट किया, 'वह तब कहां थी जब उनकी सरकार ने आसियान देशों के लिए अपना 74 प्रतिशत बाजार खोल दिया था लेकिन इंडोनेशिया जैसे अमीर देशों ने भारत के लिए केवल 50 प्रतिशत बाजार खोला था? वह अमीर देशों को भारी छूट देने के खिलाफ क्यों नहीं बोलीं?'
गोयल ने ट्वीट किया, 'उस समय सोनिया जी कहां थी, जब उनकी सरकार 2007 में भारत-चीन एफटीए पर विचार करने पर सहमत हुई थीं? मुझे उम्मीद है कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह उनके इस अपमान के खिलाफ बोलेंगे।'
उल्लेखनीय है कि सोनिया ने एशिया-प्रशांत के 16 देशों के साथ प्रस्तावित आरसीईपी समझौते का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार के कई निर्णयों से अर्थव्यवस्था को क्या कम नुकसान नहीं हुआ था कि अब वह आरसीईपी के माध्यम से बड़ा नुकसान पहुंचाने की तैयारी में है। इससे हमारे किसानों, दुकानदारों, लघु एवं मध्यम इकाइयों पर गंभीर दुष्परिणाम होंगे।