मोदी ने कहा कि सुभाष बाबू उन सेनानियों में रहे जिन्होंने समय के साथ खुद को बदला और लक्ष्य के हिसाब से कदम उठाए। वह पहले गांधीजी के साथ कांग्रेस में रहे, फिर उन्होंने सशस्त्र क्रांति का रास्ता चुना। नेताजी से आजादी के लिए लड़ रहे दुनिया के कई मुल्कों ने प्ररेणा ली।