आकाशवाणी पर प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हर वर्ष 8 मार्च को 'अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस' मनाया जाता है। देश और दुनिया में कई कार्यक्रम होते हैं। इस दिन देश में 'नारी शक्ति पुरस्कार' से ऐसी महिलाओं का सत्कार भी किया जाता है जिन्होंने बीते दिनों में भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में अनुकरणीय कार्य किया हो।
उन्होंने कहा कि आज देश महिला विकास से आगे महिला नीत विकास की ओर बढ़ रहा है। आज हम महिला विकास से आगे महिला के नेतृत्व में विकास की बात कर रहे हैं। आज सामाजिक व आर्थिक जीवन के हर क्षेत्र में महिलाओं की बराबरी की भागीदारी सुनिश्चित करना हम सबका कर्तव्य है, यह हम सबकी जिम्मेवारी है।
उन्होंने कहा कि हम उस परंपरा का हिस्सा हैं,जहां पुरुषों की पहचान नारियों से ही होती थी। यशोदा-नंदन, कौशल्या-नंदन, गांधारी-पुत्र- यही पहचान होती थी किसी बेटे की। आज हमारी नारी शक्ति ने अपने कार्यों से आत्मबल और आत्मविश्वास का परिचय दिया है। स्वयं को आत्मनिर्भर बनाया है। आखिर हमारा 'न्यू इंडिया' का सपना यही तो है, जहां नारी सशक्त हो, सबल हो, देश के समग्र विकास में बराबर की भागीदार हो।
उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मुझे एक बहुत ही बढ़िया सुझाव मिला। यह सुझाव था कि 8 मार्च को 'महिला दिवस' मनाने के लिए भांति-भांति के कार्यक्रम होते हैं, क्या हर गांव-शहर में जिन्होंने 100 वर्ष पूर्ण किए हैं, ऐसी माताओं-बहनों के सम्मान का कार्यक्रम आयोजित हो सकता है? और उसमें एक लंबे जीवन की बातें हों। मुझे विचार अच्छा लगा, आप तक पहुंचा रहा हूं।
मोदी ने इस संबंध में महिला सशक्तीकरण पर स्वामी विवेकानंद के विचारों को साझा किया। उन्होंने झारखंड के एक समाचार का जिक्र किया, जो नारी शक्ति से जुड़ा है। 'स्वच्छ भारत अभियान' के अंतर्गत झारखंड में लगभग 15 लाख महिलाओं ने संगठित होकर 1 माह का स्वच्छता अभियान चलाया।
उन्होंने कहा कि झारखंड की इन महिलाओं ने दिखाया है कि नारी शक्ति, स्वच्छ भारत अभियान की एक ऐसी शक्ति है, जो सामान्य जीवन में स्वच्छता के अभियान को व स्वच्छता के संस्कार को प्रभावी ढंग से जनसामान्य के स्वभाव में परिवर्तित करके रहेगी। (भाषा)