नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सदन में चर्चा के दौरान आसन के निकट जाकर हंगामा करने की कुछ दलों और उनके नेताओं की प्रवृत्ति पर निशाना साधते हुए सोमवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी तथा बीजू जनता दल के सदस्यों की आसन के निकट नहीं जाने के ‘संकल्प’ की सराहना की और कहा कि सत्ता पक्ष सहित सभी दलों को इनसे सीख लेनी चाहिए।
एनसीपी और बीजद का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इन दोनों दलों ने अनुशासन बनाए रखते हुए खुद आसन के निकट नहीं जाने का ‘संकल्प’ ले रखा है। यह बहुत उत्तम बात है कि आसन के निकट जाए बिना इन्होंने अपनी बात प्रभावी ढंग से रखी है। सत्ता पक्ष सहित सबको इससे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस अनुशासन से उनकी विकास यात्रा में कोई रुकावट नहीं आई है। इस तरह की परंपराओं का अनुसरण होना चाहिए और इन दलों की सराहना की जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सही है कि राज्यसभा की भूमिका विधेयकों को जांचने परखने तथा संतुलन बनाए रखने की है और यह लोकतंत्र के लिए जरूरी भी है। उन्होंने कहा कि चर्चा और बहस प्रभावी होनी चाहिए, लेकिन साथ ही यह भी सही है कि जांचने-परखने और बाधा बनने तथा संतुलन और रुकावट में अंतर होता है।
उन्होंने कहा कि सदन के इतिहास में एक लंबा कालखंड ऐसा था जब विपक्ष जैसा कुछ खास नहीं था। उस समय शासन में बैठे लोगों को इसका बड़ा लाभ भी मिला, लेकिन उस समय भी सदन में ऐसे अनुभवी लोग थे जिन्होंने शासन व्यवस्था में निरंकुशता नहीं आने दी। इस बात को हमेशा ध्यान में रखा जाना चाहिए।