मुख्य आरोपी संजय रॉय का पॉलीग्राफ टेस्ट उस जेल में ही किया जा रहा है जहां वह बंद है, जबकि पूर्व प्राचार्य संदीप घोष, घटना की रात ड्यूटी पर मौजूद 4 चिकित्सकों और 1 नागरिक स्वयंसेवक समेत 6 अन्य का पॉलीग्राफ टेस्ट सीबीआई कार्यालय में किया जाएगा।
इस परीक्षण का इस्तेमाल सबसे पहले 19वीं सदी में इतालवी अपराध विज्ञानी सेसरे लोम्ब्रोसो ने किया था। इसमें संदिग्ध व्यक्ति से सवाल पूछे जाते हैं। उसके रक्तचाप, नाड़ी, श्वसन और त्वचा की चालकता की निगरानी की जाती है। इस टेस्ट में कॉर्डियो कफ और संवेदनशील इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल आरोपी के रक्तचाप, नाड़ी और अन्य चरों की निगरानी के लिए किया जाता है।
क्या है मामला : कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 9 अगस्त को चिकित्सक का शव मिला था, जिस पर गंभीर चोटों के निशान थे। इस घटना के संबंध में रॉय को अगले दिन गिरफ्तार किया गया था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने 13 अगस्त को इस मामले की जांच CBI को सौंप दी थी और इसके अगले दिन केंद्रीय एजेंसी ने जांच कोलकाता पुलिस से अपने हाथ में ले ली।
इससे पहले सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि स्थानीय पुलिस ने प्रशिक्षु चिकित्सक से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले को दबाने का प्रयास किया था और जब तक संघीय एजेंसी ने जांच अपने हाथ में ली, तब तक अपराध स्थल से छेड़छाड़ की जा चुकी थी। हत्या की घटना के खिलाफ देश भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।