उन्होंने कहा, घृणा भाषण तथा भय फैलाने वाली बातें बंद होनी चाहिए। हमें मध्य मार्ग की आवाज को बुलंद करना चाहिए। हमें कुछ व्यक्तियों की सत्ता की भूख को संतुष्ट करने और नियंत्रण के लिए धर्म का उपयोग मुखौटे की तरह करने की इजाजत नहीं देनी चाहिए।
उन्होंने कहा, सहिष्णुता एवं सह अस्तित्व हमारी सभ्यता के बुनियादी सिद्धांत हैं। हमें वे बहुत प्रिय हैं। उन्होंने ध्यान दिलाया कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देशों के बीच सह अस्तित्व के लिए पंचशील का सिद्धांत प्रतिपादित किया था। (भाषा)