भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राज्यों से मिली रिपोर्टों के अनुसार, भारतीय पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर दूसरा आम कैंसर है। एक लाख प्रोस्टेट कैंसर रोगियों में नौ या 10 मरीज भारत के पाए जाते हैं। यह संख्या एशिया और अफ्रीका के अन्य भागों की तुलना में बहुत अधिक है। हालांकि यूरोप और अमेरिका की तुलना में काफी कम है।
दिल्ली, कोलकाता, पुणे और तिरुअनंतपुरम में प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में पाया जाने वाला दूसरे नम्बर पर है। बेंगलुरु और मुंबई जैसे शहरों में इसका तीसरा स्थान है। दिल्ली के पुरुषों में यह दूसरा आम कैंसर है जो कुल कैंसर रोगियों में 6.78 प्रतिशत है।
डॉ. कुमार के अनुसार जीवनशैली की अनियमितताओं से मोटापा बढ़ता है जिससे प्रोस्टेट कैंसर होने की आशंका अधिक रहती है। उनका कहना है कि इसके होने का कारण आनुवांशिक अधिक होता है। बीमारी के शुरुआती दौर में पता लग जाने पर इसका निश्चित उपचार किया जा सकता है। पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को 40 साल की उम्र के बाद परीक्षण अवश्य कराना चाहिए। (वार्ता)