कानून में प्रस्तावित बदलावों के अनुसार, ‘अगर केंद्र सरकार को किसी श्रेणी विशेष के उद्योगों के वित्तीय स्थिति या अन्य हालात के मद्देनजर जरूरी लगा तो वह कर्मचारियों के अनिवार्य भविष्य निधि अंशदान को घटा सकेगी या पूरी तरह माफ कर सकेगी।’
इसमें कर्मचारियों के वेतन से अंशदान काटने के बाद उसे कोष में न जमा कराने पर न्यूनतम दंड 10,000 रुपए से बढ़ाकर 70,000 रुपए करने का भी प्रस्ताव है। (भाषा)